Economy, asked by satnamimanish243, 2 months ago

ऋग्वेद के महत्व पर प्रकाश डालिए​

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Answered by amantomar693
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Explanation:

ऋग्वेद में आत्मा, परलोक, पूर्वजन्म और मोक्ष आदि से सम्बन्धित विचार भी मिलते है। समाजशास्त्र की दृष्टि से भी इस वेद का महत्व है। ऋग्वेद के समय में स्त्रियों का समाज में पर्याप्त सम्मान था। पृथिवी, उषा, सरस्वती और वाक् आदि देवताओं का निरूपण ऋग्वेद में मिलता है, जो तत्कालीन नारियों के समाजिक सम्मान का संकेत देता है।

Answered by sldudhwal
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Explanation:

ऋग्वेद सबसे पुराना ज्ञात वैदिक संस्कृत पुस्तक है। इसकी प्रारम्भिक परतें किसी भी इंडो-यूरोपीय भाषा में सबसे पुराने मौजूदा ग्रन्थों में से एक हैं।  ऋग्वेद की ध्वनियों और ग्रन्थों को दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व से मौखिक रूप से प्रसारित किया गया है। दार्शनिक और भाषाई साक्ष्य इंगित करते हैं कि ऋग्वेद संहिता के थोक की रचना भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में हुई थी, जो कि सबसे अधिक संभावना है- 1500 और 1000 ईसा पूर्व, 1700-1000 BCE भी दिया गया है।

ऋग्वेद में अनेक प्रकार के लोकोपयोगी-सूक्त, तत्त्वज्ञान-सूक्त, संस्कार-सुक्त उदाहरणतः रोग निवारक-सूक्त, श्री सूक्त  तत्त्वज्ञान के नासदीय-सूक्त तथा हिरण्यगर्भ सूक्त  और विवाह आदि के सूक्त वर्णित हैं, जिनमें ज्ञान विज्ञान का चरमोत्कर्ष दिखलाई देता है।

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