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उपभोक्ता जागरूकता एक उपभोक्ता के रूप में अपने अधिकारों के किसी व्यक्ति, समझ उपलब्ध उत्पादों और सेवाओं के विपणन किया जा रहा है और बेचा के विषय में एक उपभोक्ता के रूप में अपने अधिकारों के किसी व्यक्ति द्वारा किया जा रहा है। इस अवधारणा की चार श्रेणियों के सहित सुरक्षा, पसंद, जानकारी, और सुना जाने का अधिकार शामिल है।
1. उपभोक्ता जागरूकता और प्रतितोष तथा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के प्रवर्तन के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना।
2. उपभोक्ता शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत बनाना:
राष्ट्रीय आयोग के आधार ढांचे का सुदृढ़ीकरण: उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 6 और 20 के उपबंधों के अनुसार राष्ट्रीय आयोग की स्थापना करना और उसके लिए आवश्यक आधार ढांचा और कर्मचारियों की व्यवस्था करना केन्द्र सरकार की जिम्मेदारी है।
3.उपर्युक्त को देखते हुए विभाग ने निम्नलिखित का प्रस्ताव किया है:‑
1995 के दौरान आबंटित एक बारगी अनुदान के तहत कवर किए गए जिला मंचों को 5 लाख रुपए प्रति मंच और राज्य आयोगों को 25 लाख रुपए प्रति आयोग की दर से आगे और सहयोग देने के लिए 30.90 करोड़ रुपए की राशि का प्रस्ताव किया गया है।
4. बाट तथा माप निदेश मानक प्रयोगशालाओं को मजबूत बनाना:
उपभोक्ता मामले विभाग व्यापार और वाणिज्य में प्रयोग में लाए जाने वाले सभी बाट तथा माप उपकरणों के विनियमन के लिए बाट तथा माप मानक अधिनियम, 1976 और बाट तथा माप मानक प्रवर्तन अधिनियम, 1985 को भी प्रशासित करता है।
5. क्षेत्रीय निर्देश मानक प्रयोगशालाओं के लिए अतिरिक्त स्टाफ:
विभाग ने देश के पांच क्षेत्रों में राज्यों और उद्योगों को अंशाकन और सत्यापन प्रदान करने के लिए पाँच क्षेत्रीय निर्देश मानक प्रयोगशालाओं की स्थापना की हैं।
6. उपभोक्ता कल्याण कोष में राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों की अधिक संलग्नता:
केन्द्र सरकार ने उपभोक्ता कल्याण कोष के सृजन के लिए 1991 में केन्द्रीय उत्पाद और नमक अधिनियम, 1944 का संशोधन किया।
7. जिला प्रशासन की अधिक भागीदारी:
विभाग ने जिला कलैक्टरों जिला मजिस्ट्रेटों की प्रभावी भागीदारी के लिए कार्रवाई की मदें भी विकसित की हैं और जिला कलैक्टरों का एक वार्षिक सम्मेलन आयोजित करने का प्रस्ताव किया है ताकि उपभोक्ता आन्दोलन का प्रसार एक व्यवस्थित तरीके से हो सके।
8. राष्ट्रीय उपभोक्ता संरक्षण नीति:
विभाग एक राष्ट्रीय उपभोक्ता संरक्षण नीति विकसित करने पर विचार कर रहा है ताकि उपभोक्ताओं के प्राथमिकता वाले सरोकारों को सभी पणधारियों द्वारा व्यवस्थित तरीके से पूरा किया जा सके। इस से केन्द्र और राज्य सरकारों के विभिन्न अन्य मंत्रालय/विभाग भी उपभोक्ताओं के हितों के प्रति अधिक जिम्मेदार होंगे।
9. कार्यकारी दल:
केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण परिषद की 16.7.2003 को हुई 23वीं बैठक की सिफारिश पर महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण के तौर तरीकों पर विचार करने के लिए मंत्रालय में निम्नलिखित छ: कार्यदल गठित किए हैं‑
10. उपभोक्ता के हितों के संवर्धन के लिए भी एक स्थायी समिति )गठित की गई है जिसके विचाराणीय विषय इस प्रकार हैं:‑
. उपभोक्ताओं के मुख्य सरोकारों का पता लगाना।
. उपभोक्ताओं को शिक्षित करना और उनके सरोकारों को पूरा करना।
. उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण के लिए विभिन्न पणधारियों को शामिल करने के लिए तौर तरीकों का पता लगाना, और
. उपभोक्ताओं के हितों को सभी प्रचालनों, चाहे वे सरकारी, सार्वजनिक या निजी क्षेत्र के क्यों न हो, में पमुखता देने के तौर तरीकों का पता लगाना।
11. उपभोक्ता क्लब:
उपभोक्ता कल्याण कोष के तहत उपभोक्ता संरक्षण से संबंधित मुद्दों में विद्यार्थियों को विनोदपूर्ण और अनौपचारिक तरीके से शामिल करने की एक नई स्कीम शुरु की गई है। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री जी ने 24 सितम्बर, 2003 को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के अवसर पर दिल्ली के स्कूलों में ‘उपभोक्ता क्लबों’ की शुरुआत की। देश के विभिन्न राज्यों से उपभोक्ता क्लब खोलने के प्रस्ताव प्राप्त हो रहे हैं। स्कीम के तहत सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को कवर किया जाएगा।
12. अनुसंधान संस्थानों/विश्वविद्यालयों/कालेजों की भागीदारी:
उपभोक्ता कल्याण के क्षेत्र में अनुसंधान और मूल्यांकन अध्ययन अनुसंधान संस्थानों, विश्वविद्यालयों और कालेजो को प्रायोजित करने के उद्देश्य से उपभोक्ता कल्याण कोष के अंतर्गत एक अन्य स्कीम तैयार की गई है। अनुसंधान संस्थानों आदि के भागीदारी को बढ़ावा देने और ऐसे संस्थानों से प्राप्त प्रस्तावों को विकसित करने के लिए सेमिनारों और कार्यशालाओं के आयोजन की शुरुआत करने के लिए आई आई पी ए, (भारतीय लोक प्रशासन संस्थान, नई दिल्ली), की नोडल संगठन के रूप में पहचान की गई है।
13. नेशनल कंज्यूमर हैल्पलाइन:
दिल्ली विश्वविद्यालय आदि जैसे प्रमुख संस्थानों की सहायता से दिल्ली में एक नेशनल कंज्यूमर हैल्पलाइन स्थापित करने पर विचार कर रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय ने स्कीम में रुचि दिखाई है और इस उद्देश्य के लिए विस्तृत प्रस्ताव तैयार कर रहा है। स्कीम के उद्देश्य इस प्रकार हैं:‑
1. उपभोक्ताओं में उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों के प्रति जागरूकता पैदा करना।
2. उपभोक्ताआं को टेलीफोन और व्यक्तिगत रूप से परामर्श प्रदान करना।
3. उपाभोक्ता विवादों को कोर्ट से बाहर निपटाने के लिए सहायता प्रदान करना।
13. उपभोक्ता कार्यकर्ता समूह:
विभाग में एक उपभोक्ता कार्यकर्ता समूह गठित किया गया जिसमें विभाग के वरिष्ठ अधिकारी और कुछ अति प्रतिष्ठित और अनुभवी कार्यकर्ता शामिल हैं। यह समूह ऐसे नाजुक क्षेत्रों का पता लगाएगा जिनमें विभाग को उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए सक्रिय कार्रवाई आरम्भ करनी होगी और उन विभिन्न तरीकों की पहचान करेगा जिनसे यह कार्रवाई हो पाएगी। यह समूह विभाग को उपभोक्ता से संबंधित प्रतिदिन समाचार पत्रों आदि में आने वाली समस्याओं का सामना करने के लिए निर्देशित करेगा।