ऋण के औपचारिक और अनौपचारिक स्त्रोतों की विशेषताएं बताइए
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- अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भरता को कम करने के लिए क्योंकि इनमे में उच्च ब्याज दर होती है और कर्ज़दार को ज्यादा लाभ नहीं मिलता है।
- सस्ता और सामर्थ्य के अनुकूल कर्ज़ देश के विकास के लिए अति आवश्यक है।
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question:⤵️
ऋण के औपचारिक और अनौपचारिक स्त्रोतों के मध्य अंतर स्पष्ट कीजिए
Answer:⤵️
★ऋण के औपचारिक स्रोत :
(i) ये सरकार द्वारा पंजीकृत होते है जैसे बैंक और
सहकारी समितियाँ।
(ii) इनका ब्याज दर निश्चित होती है। (iii) औपचारिक ऋण के स्रोतों से ऋण लेने पर शोषण नहीं होता है।
(iv) इसकी निगरानी RBI करती है और इनका उद्देश्य सामाजिक कल्याण के लिए ऋण प्रदान करना है |
★ऋण के अनौपचारिक स्रोत :
(i) ये सरकार द्वारा पंजीकृत नहीं होते है जैसे - साहूकार, व्यापारी और रिश्तेदार आदि |
(ii) इनका ब्याज दर निश्चित नहीं होता है | (ii) अनौपचारिक ऋण के स्रोतों से ऋण लेने पर शोषणहोता है ।
(iv) इनकी निगरानी RBI नहीं करती है और इनका उद्देश्य केवल लाभ कमाने के लिए होता है |
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