ऋण लौटाने की समस्या पर दो किसानों के मध्य 50 से 60 शब्दों में संवाद लिखिए।
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संरचनात्मक सुधारों की ज़रूरत
देखा यह गया है कि समय बीतने के साथ किसानों की हालत सुधरने के बजाय और खराब होती चली गई है। किसानों को संतुष्ट करने के लिये देश के नीति-निर्धारक समय-समय पर जो उपाय करते हैं, वे तात्कालिक राहत पहुँचाने वाले होते हैं। इन उपायों के तहत किसानों को लुभाने वाले कदम उठाए जाते हैं, जबकि ज़रूरत ऐसे संरचनात्मक उपायों की है जो दीर्घकालिक हों और किसानों की समस्या को स्थायी तौर पर हल कर सकें। जैसे- यूनिवर्सल बेसिक इनकम जैसी योजना चलाना। इससे हर महीने एक निश्चित आय हो सकेगी और किसान अपनी उपज को औने-पौने दामों पर बेचने को विवश नहीं होंगे। लेकिन वास्तविकता यह है कि बिजली-पानी, खाद, कृषि के बुनियादी ढाँचे, विपणन और जोखिमों का सामना करने की क्षमता आदि जैसी किसानों की सामान्य समस्याओं को ही दूर करने में हम सफल नहीं हो पा रहे हैं।
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