ऋणपत्र' पत्र 'अंश' से भिन्न क्यों होते हैं, दो अंतर बताइए?
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ऋणपत्रों और अंशों की प्रकृति और उपयोग भिन्न होते हैं।
स्वामित्व की प्रकृति:
यदि किसी धारक के पास अंश हैं तो उसे स्वामी की संज्ञा दी जाती है क्योंकि अंश एक प्रकार की स्वामित्व पूंजी है।
यदि किसी धारक के पास ऋण है तो उसे लेनदार कहा जाएगा क्योंकि ऋण एक प्रकार की कर्ज़ पूंजी होती है।
प्रतिफल की प्रकृति:
अंश पर लाभ मिलता है और इसकी प्रतिवर्ष प्रतिफल दर अलग हो सकती है।
ऋण पर ब्याज देना पड़ता है और इसके प्रतिफल की दर हमेशा स्थिर होती है।
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