ऋणदाताओ के प्रति रैयतों की नाराजगी के कारण
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ऋणदाताओं के प्रति रैयतो की नाराजगी के कारण निम्न है-
1) 1870 मे ऋणदाता द्वारा ऋण देने से इनकार करने के कारण रैयत नाराज हो गए। किसानों को लगता था कि ऋणदाता इतने संवेदनशील हो गए हैं कि उन्हें हमारी दशा पर तरस नहीं आ रहा है।
2) ब्याज मूलधन से अधिक नहीं लिया जा सकता था परंतु ऋण दाता इस मानक की धज्जियां उड़ा रहे थे एक मामले में उन्होंने ₹100 से मूलधन पर ₹2000 ब्याज करा दिया था।
3) बिना चुकाई गई ब्याज की राशि को नए बंधपत्रों में शामिल कर लिया जाता था। ताकि ऋणदाता कानून के शिकंजे से बचा रहे है और उसकी राशि भी न डूबे।
4) ऋणदाता किसानों को कई प्रकार से ठगते थे। ऋण का भुगतान किए जाने पर वह रैयत को उनकी रसीद नहीं देते थे। बंधपत्रों में जाली आंकड़ों को भर लिया जाता था। किसानों की फसलों के दाम को बहुत कम आका जाता था। अंत में उनके धन संपदा पर भी अधिकार जमा लिया जाता था।