Hindi, asked by smritsharma, 2 months ago

ऋतुओं का सचित्र वर्णन​

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Answered by ShlokShukla2010
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Explanation:

भारत का ऋतु चक्र छः कालखंडों में विभाजित है। यह एक-दूसरे से परस्पर पूर्ण रूप से असमान हैं। ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत, शिशिर और वसंत यह भारत के छः प्रमुख ऋतुएँ हैं। महाकवि कलिदास द्वारा रचित ऋतु-संहार में भारत के ऋतुओं का बड़ा सुंदर दार्शनिक वर्णन मिलता है

Answered by aksharakanswal201300
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चार ऋतुओं के अनुसार ही आहार भी सुनिश्चित है, लेकिन पर्यावरण असंतुलन के कारण जब यह ऋतुएं ही बदल जाएंगी तो स्वास्थ्य पर इसका विपरीत असर तो पड़ेगा ही

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प्रकृति से छेड़छाड़ कर भूमंडल पर असंतुलन उत्पन्न करना आने वाले समय में प्राकृतिक आपदाओं को बढ़ावा देने के समान है। दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि जब भी कोई आपदा अपनाकहर बरपा कर गुजर जाती है तो चिंतन भी होता है और योजनाएं भी बनती हैं। लेकिन इसके बाद यह चिंतन और योजनाएं इस प्रकार से मिट जाती हैं जैसे कि रेत से पैरों के निशान। ग्लोबल वार्मिंग का नतीजा है कि आज मौसम में बदलाव आ चुका है। भारत की समृद्ध संस्कृति में चार ऋतुओं का उल्लेख है और इन चारों ऋतुओं के अनुसार ही आहार भी सुनिश्चित थालेकिन अब जब यह ऋतुएं ही बदल जाएंगी तो स्वास्थ्य पर इसका विपरीत असर पड़ेगा। मौसम में परिवर्तन का आलम यह है कि कभी बारिश नहीं होती तो कभी इतनी अधिक बारिश होती है कि भयंकर विनाश हो रहा है। बीते कुछ वर्षों में तो प्रदेश ने कई ऐसी भयंकर विभीषिकाओं का दंश झेला है। कुल्लू, रामपुर व किन्नौर में बादल फटने की घटनाएं इस भूमंडलीय उष्मीकरण का ही तो परिणाम हैं। वर्तमान में ही शोधार्थियों ने जो भूमंडलीय उष्मीकरण के लिए वायुमंडल में बढ़ती कार्बन डाइआक्साइड को जिम्मेदार ठहराया है। इसके अलावा मीथेन, क्लोरोफलोरो कार्बन, नाइट्रस आक्साइड, ओजोन, सल्फर डाइआक्साइड व जलवाष्पों की भूमिका भी कोई कम नहीं है। भूमंडलीय उष्मीकरण में कार्बन डाइआक्साइड का 50, मीथेन का 18क्लोरोफलोरो कार्बन का 14 व नाइट्रस आक्साइड का योगदान छह फीसद आंका गया है। वायुमंडल में कार्बन डाइआक्साइड के बढऩे का सीधा कारण यह है कि इस गैस को आक्सीजन में बदलने वाले संसाधनों में लगातार कमी आ रही है। प्रकृति ने यह व्यवस्था पेड़ पौधों के माध्यम से की थी लेकिन आधुनिकता की होड़ में मानव यह ही भूल गया कि जिन पेड़ों पर अंधाधुंध कुल्हाड़ी चलाकर कंकरीट के जंगल बनाने की ओर तेजी से प्रयास कर रहा है यह भविष्य के लिए एक मानव जीवन के विनाश का ही कारण बन जाएंगे। इसलिए अब आवश्यकता यह महसूस की जा रही है कि हम केवल सुरक्षित पर्यावरण के लिए केवल रैलियों या नारों तक ही सीमित न रहें बल्कि इसके लिए ठोस प्रयास किए जाएं। वनों का घनत्व केवल आंकड़ों में न बढ़े। एक पेड़ काटने पर दस पौधे लगाने का संकल्प हर व्यक्ति को लेना होगा। अगर पेड़ कटते रहे और पौधे न लगे तो मनुष्य के लिए सांस लेना मुश्किल हो जाएगा।

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