Riti kalin ke kaviyon ke naam
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रीतिकाल के अधिकांश कवि दरबारी थे। केशवदास (ओरछा), प्रताप सिंह (चरखारी), बिहारी (जयपुर, आमेर), मतिराम (बूँदी), भूषण (पन्ना), चिंतामणि (नागपुर), देव (पिहानी), भिखारीदास (प्रतापगढ़-अवध), रघुनाथ (काशी), बेनी (किशनगढ़), गंग (दिल्ली), टीकाराम (बड़ौदा), ग्वाल (पंजाब), चन्द्रशेखर बाजपेई (पटियाला), हरनाम (कपूरथला), कुलपति मिश्र (जयपुर), नेवाज (पन्ना), सुरति मिश्र (दिल्ली), कवीन्द्र उदयनाथ (अमेठी), ऋषिनाथ (काशी), रतन कवि (श्रीनगर-गढ़वाल), बेनी बन्दीजन (अवध), बेनी प्रवीन (लखनऊ), ब्रह्मदत्त (काशी), ठाकुर बुन्देलखण्डी (जैतपुर), बोधा (पन्ना), गुमान मिश्र (पिहानी) आदि और अनेक कवि तो राजा ही थे, जैसे- महाराज जसवन्त सिंह (तिर्वा), भगवन्त राय खीची, भूपति, रसनिधि (दतिया के जमींदार), महाराज विश्वनाथ, द्विजदेव (महाराज मानसिंह)।
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' हिंदी साहित्य के इतिहास ' मूलतः चार खंड है :-
आदिकाल
भक्तिकाल
रीतिकाल
आधुनिक काल
रीतिकाल के कवियों के नाम कुछ इस प्रकार
है:-
बिहारी
• उनकी केवल एक ही रचना प्राप्त होती है ।
• उनकी रचना - सतसई ।
केशवदास
• प्रमुख रचनाएं - कविप्रिया , रामचन्द्रिका
मतिराम
• प्रमुख रचना - रसराज
भूषण
• प्रमुख रचना - शिवराजभूषण ।
देव
• प्रमुख रचना - भावविलास ,भवानीविलास
चिंतामणि
• प्रमुख रचना - पिंगल , कवित्त विचार ।
बोधा
• प्रमुख रचना - विरहवारीश , इश्कनामा ।
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