Robert kalaiv nu kisda modi mania janda ha
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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ओटावा, कनाडा में 15 अप्रैल, 2015 को कनाडा के गवर्नर जनरल माननीय डेविड जॉनसन से मुलाकात करते हुए।
The Prime Minister, Shri Narendra Modi meeting the Governor General of Canada, the Right Honourable David Johnston, at Ottawa, Canada on April 15, 2015.
Explanation:
हमारे यहां गद्दारों के लिए दो ही नाम होते हैं. पहला, जयचंद. दूसरा, मीर जाफर. मीर जाफर को गद्दार बनाने वाले का आज जन्मदिन है. रॉबर्ट क्लाइव. पैदा होने की तारीख 29 सितम्बर, 1725. ये इंसान न होता, तो शायद भारत को 200 सालों तक अंग्रेजों की गुलामी न करनी पड़ती.
वो क्लाइव ही था, जिसने भारत में अंग्रेजों की किस्मत लिखी. बेहद क्रूर. पत्थर दिल. अत्याचारी. अफीम की लत थी उसे. दिमाग ठिकाने पर नहीं रहता था. तुनकमिजाज था. कई इतिहासकार उसे ‘साइकोपैथ’ भी कहते हैं. माने, मनोरोगी. इसी क्लाइव पर 1935 में एक फिल्म बनी. क्लाइव ऑफ इंडिया. एकदम हीरो टाइप. इसमें क्लाइव की रोमांटिक कहानी थी. ऐसे ही जैसे ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ के किसी राज मल्होत्रा की होती है. दिल लुटाने वाला. टूटकर प्यार करने वाला. एक दोस्त के गले में लॉकेट था. लॉकेट में एक लड़की की तस्वीर थी. फोटो देखकर ही क्लाइव को उससे मुहब्बत हो गई. उसने बिना मिले ही शादी के लिए प्रपोज कर दिया. चिट्ठी लिखकर लड़की से कहा, भारत चली आओ. तब इंग्लैंड से भारत आने में सालभर का वक्त लगता था. लड़की आ गई. दोनों ने शादी कर ली.
पलासी की लड़ाई के दौरान मीर जाफर से मुलाकात करता रॉबर्ट क्लाइव (विकीमीडिया कॉमन्स)
हिंदुस्तान के लिए शाप, लेकिन अंग्रेजों के लिए वरदान था क्लाइव
साल 1744. क्लाइव पहली बार इंग्लैंड से मुंबई के लिए निकला. ईस्ट इंडिया कंपनी का एजेंट बनकर. रास्ते में जहाज खराब हो गया. ठीक होते-होते नौ महीने लग गए. इस बीच क्लाइव ने पुर्तगाली भाषा सीख ली. नियति थी. आगे बड़ी काम आई उसके. 1707 में मुगल बादशाह औरंगजेब मर चुका था. साम्राज्य कमजोर हो गया था. सूबेदार ताकतवर हो गए थे. फ्रांस, पुर्तगाल, ब्रिटेन सबकी नजर थी भारत पर. फ्रांस मजबूत था. मद्रास पर अंग्रेजों का प्रभाव था. यहां फ्रेंच सेना ने अंग्रेजों पर हमला किया. अंग्रेज हार गए. लेकिन क्लाइव ने बड़ी बहादुरी दिखाई. झुकने से इनकार कर दिया. बड़ी चालाकी से वेश बदलकर भाग गया. यहीं से क्लाइव की किस्मत का ताला खुला. वो सीनियर्स की नजर में आया. फ्रेंच फोर्सेस के साथ लड़ते हुए उसने बहुत बहादुरी दिखाई. इसी साहस के दम पर ब्रिटिश सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल बन गया.