Rowls न्यायिक सिद्धांत पर टिप्पणी
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जॉन रॉल्स ने अपने न्याय सम्बन्धी विचार सर्वप्रथम 1950 में से बनाने शुरू किए। उसने 1957 में ‘न्याय उचितता के रूप में’ नामक लेख में अपने न्याय सम्बन्धी विचार प्रस्तुत किए। 1963 तथा 1968 में उसने अपने विचारों को फिर से आगे प्रस्तुत किया और वितरणात्मक न्याय की अवधारणा प्रस्तुत की। 1971 में जॉन रॉल्स ने जिस पुस्तक का प्रतिपादन किया, उसमें वितरणात्मक न्याय के ही दर्शन होते हैं। जॉन रॉल्स का वितरणात्मक न्याय समझौतावादी सिद्धान्त पर आधारित है। जॉन रॉल्स ने अपने न्याय सिद्धान्त को पेश करते हुए सबसे पहले उपयोगितावादी विचारों का खण्डन किया है और अपने न्याय सिद्धान्त को प्रकार्यात्मक आधार प्रदान किया है। जॉन रॉल्स ने सामाजिक सहयोग में न्याय की भूमिका को स्पष्ट करते हुए न्याय का सरलीकरण किया है और अपने न्याय सिद्धान्त को प्रकार्यातमक आधार प्रदान किया है। जॉन रॉल्स ने न्याय को उचितता के रूप में परिभाषित करके न्याय के सिद्धान्त की परम्परागत समझौतावादी अवधारणा को उच्च स्तर पर अमूर्त रूप प्रदान किया है। उसने अपने न्याय सिद्धान्त की तुलना उपयोगितावादी तथा अन्त:प्रज्ञावादी न्याय के सिद्धान्त से करके वितरणात्मक या सामाजिक न्याय सिद्धान्त की श्रेष्ठता स्थापित करने का प्रयास किया है। जॉन रॉल्स के सामाजिक न्याय सिद्धान्त का अध्ययन इन शीर्षकों के अन्तर्गत किया जा सकता है-
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