rozon ka asal maqsad kya hai?
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नमाज के बाद अल्लाह ने जो दूसरी इबादत मुसलमानों के लिए अनिवार्य की है वह है रोजा। रोजे से मुराद ये है कि रमजान के महीने में 30 दिन तक सुबह से शाम तक खाना-पीना नहीं होगा।
नमाज की तरह ही इबादत रोजा भी अल्लाह के भेजे सभी पैगंबरों के मानने वालों पर फर्ज हैं और आज भी अधिकतर धर्मों में किसी न किसी रूप में मौजूद हैं।
वास्तव में इस्लाम का रोजे से तात्पर्य यह है कि बंदा अपना जीवन रब की इच्छा और उसके आदेशों को मानते हुए गुजार दे। साल भर में रमजान महीने के रोजे इसी मकसद का प्रशिक्षण हैं।
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