Rupak alankar ke char udharan
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1.बीती विभावरी जाग री।
अम्बर-पनघट में डुबों रही, तारा-घट उषा नागरी।
यहाँ पर अम्बर में पनघट, तारा में घट तथा उषा में नागरी का अभेद कथन है।
2.वन शारदी चन्द्रिका चादर ओढ़े।
उपमेय चंद्रिका उपमान चादर
3.मुख कमल है |
यहाँ मुख पर कमल का आरोप किया गया है अर्थात् मुख को कमल बना दिया गया है |
4.चरन – सरोज पखारन लागा |
यहाँ ‘चरणों’ में ‘सरोज’ अर्थात् कमल का आरोप होने से रूपक अलंकार है |
5पायो जी मैंने राम रतन धन पायो |
अम्बर-पनघट में डुबों रही, तारा-घट उषा नागरी।
यहाँ पर अम्बर में पनघट, तारा में घट तथा उषा में नागरी का अभेद कथन है।
2.वन शारदी चन्द्रिका चादर ओढ़े।
उपमेय चंद्रिका उपमान चादर
3.मुख कमल है |
यहाँ मुख पर कमल का आरोप किया गया है अर्थात् मुख को कमल बना दिया गया है |
4.चरन – सरोज पखारन लागा |
यहाँ ‘चरणों’ में ‘सरोज’ अर्थात् कमल का आरोप होने से रूपक अलंकार है |
5पायो जी मैंने राम रतन धन पायो |
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