Environmental Sciences, asked by Anonymous, 8 months ago

S 5
"अपोषणीयो से पोषणीय विकास विषय पर पर एकलेख लिखिए ।​

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Answered by ssinghrajput115
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साधारणतया ‘विकास’ शब्द से अभिप्राय समाज विशेष की स्थिति और उसके द्वारा अनुभव किए गए परिवर्तन की प्रक्रिया से होता है। विकास की संकल्पना गतिक है और इस संकल्पना का प्रादुर्भाव 20वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में हुआ है। द्वितीय विश्वयुद्ध के उपरांत विकास की संकल्पना आर्थिक वृद्धि की पर्याय थी जिसे सकल राष्ट्रीय उत्पाद, प्रति व्यक्ति आय और प्रति व्यक्ति उपभोग में समय के साथ बढ़ोतरी के रूप में मापा जाता है।

1960 के दशक के अंत में पश्चिमी दुनिया में पर्यावरण संबंधी मुद्दों पर बढ़ती जागरूकता की सामान्य वृद्धि के कारण सतत् पोषणीय धारणा का विकास हुआ। विश्व पर्यावरण और विकास आयोग ने सतत् पोषणीय विकास की सीधी-सरल और वृहद् स्तर पर प्रयुक्त परिभाषा प्रस्तुत की। इसके के अनुसार सतत् पोषणीय विकास का अर्थ है- ‘एक ऐसा विकास जिसमें भविष्य में आने वाली पीढ़ियों की आवश्यकता पूर्ति को प्रभावित किए बिना वर्तमान पीढ़ी द्वारा अपनी आवश्यकता की पूर्ति करना।’

एडवर्ड बारबियर ने सतत् विकास की परिभाषा बुनियादी स्तर पर गरीबों के जीवन के भौतिक मानकों को ऊँचा उठाने के सदंर्भ मे दी है जिसे आय, वास्तविक आय, शैक्षिक सेवाएँ, स्वास्थ्य देखभाल, सफाई, जलपूर्ति इत्यादि के रूप में परिमाणात्मक रूप से मापा जा सकता है। अधिक स्पष्ट शब्दों में हम कह सकते हैं कि सतत् विकास का लक्ष्य गरीबों की समग्र दरिद्रता को कम करके उन्हें चिरस्थायी व सुरक्षित जीविका निर्वाह साधन प्रदान करना है जिससे संसाधन अपक्षय, पर्यावरण अपक्षय, सांस्कृतिक विघटन और सामाजिक अस्थिरता न्यूनतम हो। इस अर्थ में सतत् विकास का अर्थ उस विकास से है जो सभी की, विशेष रूप से बहुसंख्यक निर्धनों की बुनियादी आवश्यकताओं जैसे- रोजगार, भोजन, ऊर्जा, जल, आवास आदि की पूर्ति करे और इन आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु कृषि, विनिर्माण, बिजली और सेवाओं की वृद्धि सुनिश्चित करे।

बु्रटलैंड कमीशन ने भावी पीढ़ी को संरक्षित करने पर जोर दिया। यह पर्यावरणविदों के उस तर्क के अनुकूल है, जिसमें उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि यह हमारा नैतिक दायित्व है कि हम भावी पीढ़ी को एक व्यवस्थित भूमंडल प्रदान करें। दूसरे शब्दों में वर्तमान पीढ़ी को आगामी पीढ़ी द्वारा एक बेहतर पर्यावरण उत्तराधिकार के रूप में सौंपा जाना चाहिए। वर्तमान पीढ़ी का दायित्व है कि ऐसे नीतियों एवं तकनीक का संवर्धन करें जो विकास और पर्यावरण के बीच सामंजस्य स्थापित करे तथा प्राकृतिक संपदा का संरक्षण करे।

सतत् विकास की प्राप्ति के लिए निम्नलिखित कदम उठाये जाने की आवश्यकता है:

मानव जनसंख्या को पर्यावरण की धारण क्षमता के स्तर तक सीमित करना होगा।

प्रौद्योगिक प्रगति आगत-निपुण हो न कि आगत उपभोगी।

नवीकरणीय संसाधनों का निष्कर्षण सतत् आधार पर हो ताकि किसी भी स्थिति में निष्कर्षण की दर पुनर्सृजन की दर से अधिक न हो।

गैर-नवीकरणीय संसाधनों का अपक्षय दर नवीनीकृत प्रतिस्थापकों से अधिक नहीं होनी चाहिए और

प्रदूषण के कारण उत्पन्न अक्षमत

Answered by purnima9092
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