सुब्रह्मण्य भारती ने किस प्रकार स्वतंत्रता संग्राम में किस प्रकार हिस्सा लिया?
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सुब्रह्मण्य भारती (११ दिसम्बर १८८२ - ११ सितम्बर १९२१) एक तमिल कवि थे। उनको 'महाकवि भारतियार' के नाम से भी जाना जाता है। उनकी कविताओं में राष्ट्रभक्ति कूट-कूट कर भरी हुई है। वह एक कवि होने के साथ-साथ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शामिल सेनानी, समाज सुधारक, पत्रकार तथा उत्तर भारत व दक्षिण भारत के मध्य एकता के सेतु समान थे।
बनारस प्रवास की अवधि में उनका हिन्दू अध्यात्म व राष्ट्रप्रेम से साक्षात्कार हुआ। सन् १९०० तक वे भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन में पूरी तरह जुड़ चुके थे और उन्होने पूरे भारत में होने वाली कांग्रेस की सभाओं में भाग लेना आरम्भ कर दिया था। भगिनी निवेदिता, अरविन्द और वंदे मातरम् के गीत ने भारती के भीतर आजादी की भावना को और पल्लवित किया। कांग्रेस के उग्रवादी तबके के करीब होने के कारण पुलिस उन्हें गिरफ्तार करना चाहती थी।
सुब्रह्मण्य भारती का प्रिय गान बंकिम चन्द्र का वन्दे मातरम् था। यह गान उनका जीवन प्राण बन गया था। उन्होंने इस गीत का उसी लय में तमिल में पद्यानुवाद किया, जो आगे चलकर तमिलनाडु के घर-घर में गूँज उठा।
सुब्रह्मण्य भारती ने माता-पिता को खोने के दु:ख को अपने काव्य में ढाल लिया। इससे उनकी ख्याति चारों ओर फैल गयी। स्थानीय सामन्त के दरबार में उनका सम्मान हुआ और उन्हें ‘भारती’ की उपाधि दी गयी।
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➪तमिल भाषा के महाकवि सुब्रमण्यम भारती का जन्म 11 दिसंबर 1882 में हुआ था. उनकी रचनाएं देशभक्ति की भावना से भरी हुई होती थीं और उससे प्रभावित होकर दक्षिण भारत में बड़ी संख्या में लोग आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए
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☞︎︎︎1. 1907 में जब कांग्रेस गरम दल और नरम दल में बंट गई थी, तो इन्होंने गरम दल का साथ दिया था.
☞︎︎︎2. वह स्वामी विवेकानंद की शिष्या भगिनी निवेदिता को अपना गुरु मानते थे. निवेदिता ने उन्हें महिलाओं के उत्थान के लिए काम करने को प्रोत्साहित किया था
☞︎︎︎3. अपनी किताब गीतांजलि, जन्मभूमि और पांचाली सप्तम में उन्होंने आधुनिक तमिल शैली का इस्तेमाल किया, जिससे उनकी भाषा जनसाधारण के लिए बेहद आसान हो गई.
☞︎︎︎4. भारती कई भाषाओं के जानकार थे. उनकी पकड़ हिन्दी, बंगाली, संस्कृत और अंग्रेजी सहित कई भारतीय भाषाओं पर थी. वे तमिल को सबसे मीठी बोली वाली भाषा मानते थे.
☞︎︎︎5. भारती का योगदान साहित्य के क्षेत्र में तो महत्वपूर्ण है ही, उन्होंने पत्रकारिता के लिए भी काफी काम और त्याग किया. उन्होंने 'इंडिया', 'विजय' और 'तमिल डेली' का संपादन किया.
☞︎︎︎6. भारती देश के पहले ऐसे पत्रकार माने जाते हैं जिन्होंने अपने अखबार में प्रहसन और राजनीतिक कार्टूनों को जगह दी.
☞︎︎︎7. जिंदगी ने उनका 40 साल से ज्यादा साथ नहीं दिया. लगातार जेल में रहने की वजह से वह बीमार रहने लगे थे. उसी दौरान जिस हाथी को वह रोज खाना खिलाया करते थे उसी ने उन्हें कुचल दिया, जिसके कुछ दिनों के बाद उनकी मौत हो गई.