सुब्रह्मण्य सही अर्थों में राष्ट्रकवि थे, कैसे? अपने विचार लिखें।
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पटना। दिनकर हमारे उन कवियों में शामिल हैं जो हमेशा हमारे साथ रहते हैं। उन्होंने कविता को लोगों के दरवाजे तक पहुंचाया। उक्त बातें कवि डॉ. अरुण कमल ने कहीं। वे मंत्रिमंडल सचिवालय (राजभाषा) विभाग की ओर से बुधवार को आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे।
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राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती के मौके पर 'दिनकर और हिंदी कविता' विषय पर विभाग की ओर से वेबिनार का आयोजन किया। इस मौके पर राजभाषा निदेशक डॉ. महेंद्र पाल ने दिनकर को हिदी का भास्कर बताया। उन्होंने कहा कि दिनकर इतने महत्वपूर्ण कवि हैं कि उनकी कविताएं हमेशा प्रासंगिक रहेंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लेह में सैनिकों को संबोधित करते हुए दिनकर की कविता 'कलम आज उनकी जय बोल..' की पंक्तियों का पाठ किया। मगध महिला महाविद्यालय की व्याख्याता डॉ. आशा कुमारी ने दिनकर को समकालीन हिदी कविता का सबसे बड़ा कवि बताया। एएन कॉलेज के प्राध्यापक डॉ. कलानाथ मिश्र ने कहा कि दिनकर ने अपनी कविताओं में समय को बांधा है। उनकी कविताएं पाठक को भीतर तक आदोलित करती हैं। मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के विशेष सचिव डॉ. उपेंद्र नाथ पांडेय ने भारतीय काव्यशास्त्र पर प्रकाश डाला। धन्यवाद ज्ञापन विभाग के उप निदेशक अनिल कुमार लाल और मंच संचालन डॉ. प्रमोद कुंवर ने किया। अपने समय के सूर्य थे दिनकर
पटना। बिहार हिदी साहित्य सम्मेलन में बुधवार को रामधारी सिंह दिनकर की जयंती पर कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने सम्मेलन से जुड़ी दिनकर की स्मृतियों को साझा किया। उन्होंने बताया कि 64 वर्ष पहले राष्ट्रकवि दिनकर ने बिहार हिदी साहित्य सम्मेलन के रजत जयंती समारोह के सभापति का दायित्व संभाला था।
उन्होंने कहा कि दिनकर सही अर्थो में अपने समय के सूर्य थे। राष्ट्रकवि के पौत्र अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि दिनकर का साहित्यिक व्यक्तित्व ही नहीं उनका सास्कृतिक व्यक्तित्व भी महान है। सम्मेलन की उपाध्यक्ष डॉ. कल्याणी कुसुम सिंह, अंबरीष कात और आनंद किशोर मिश्र ने भी अपने विचार व्यक्त किए। अतिथियों का स्वागत सम्मेलन के उपाध्यक्ष डॉ. शकर प्रसाद ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत कवि राज कुमार प्रेमी ने वाणी-वंदना से किया। वरिष्ठ कवि पंडित गणेश झा, कुमार अनुपम, डॉ. अर्चना त्रिपाठी, डॉ. शालिनी पांडेय, जय प्रकाश पुजारी, गोपाल भारतीय तथा डॉ. विनय कुमार विष्णुपुरी आदि कवियों ने भी अपनी रचनाओं का पाठ किया। डॉ. एचपी सिंह, प्रणब समाजदार, नरेंद्र कुमार झा, अमित कुमार सिंह, रामसूरत सिंह आदि उपस्थित थे। मंच संचालन योगेंद्र प्रसाद मिश्र ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया।