सुब्रमण्यम भारती द्वारा रचित जया गान कविता का भावार्थ
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हम करेंगे भारत देश का जयगान कविता का भावार्थ
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यह है भारत देश हमारा: सुब्रह्मण्य भारती
इस कविता में कवि यह बताना चाहता है ,
हमारे भारत देश में सब कुछ है यहाँ पर गंगा नदी है , पुरे विश्व में समानित है | अमर ग्रन्थ है उपदेश है| देश जहाँ नारद के, गूँजे मधुमय गान भी थे, यह है देश जहाँ पर बनते, सर्वोत्तम सामान सभी थे। भारतदेश पूर्ण ज्ञान है , स्वर्णिम, ऋषियों थे | यहाँ सब सबसे अलग है|
क्योंकि यहाँ पर सब कुछ है , नदियाँ है , हवा लहराती , ऊँचे- ऊँचे पर्वत है , निडर बहादुर , सैनिक है जो भारत देश की रक्षा करते है |
ऐसे करेंगे हम करेंगे आज भारत देश का जयगान |
अपने देश का से हमेशा ऊँचा करेंगे |
Explanation:
Given that,
हम करेंगे भारत देश का जयगान कविता
हम जानते हैं कि,
हम करेंगे भारत देश का जयगान कविता में कवि सुब्रह्मण्य भारती यह बताना चाहते हैं की
हमारे भारत देश में सब कुछ है यहाँ पर गंगा नदी है जो पुरे विश्व में समानित है |
अमर ग्रन्थ है जिनके उपदेश प्रसिद्ध है| ऐसा देश जहाँ नारद के मधुमय गान भी गूंजते थे |
कवि बताते है यहाँ नदियाँ है, ऊँचे- ऊँचे पर्वत है जो चांदी की तरह चमकते है|
यहाँ बहादुर सैनिक है जो भारत देश की रक्षा करते है |
कवि इस कविता के माध्यम से भारत देश की प्राकृतिक खूबसूरती और देश के बहादुर सैनिकों का जयगान करता है |