Hindi, asked by aadinath54, 3 months ago

सुबुद्ध वक्ता अपार जनसमूह का मन मोह लेता है, मित्रों के बीच सम्मान और प्रेम का बिन्दु बन जाता
है। बोलने का विवेक, बोलने की कला और पटुता व्यक्ति की शोभा है, उसका आकर्षण है। जो लोग
अपनी बात को राई का पहाड़ बनाकर उपस्थित करते हैं, वे एक ओर जहाँ सुननेवाले के धैर्य की परीक्षा
लिया करते हैं, वहीं दूसरी ओर अपना और दूसरे का समय भी नष्ट किया करते हैं। विषय से हटकर
बोलनेवालों से, अपनी बात को अकारण खींचते चले जाने वालों से तथा ऐसे मुहावरे और कहावतें का
प्रयोग करने वालों से जो उस प्रसंग में ठीक ही न हो, लोग ऊब जाते हैं। वाणी का अनुशासन, वाणी का
संयम और संतुलन तथा वाणी की मिठास ऐसी शक्ति है, जो हर कठिन स्थिति में हमारे अनुकूल रहती
है, जो मरने के पश्चात भी लोगों की स्मृतियों में हमें अमर बनाये रहती है। हाँ, बहुत कम बोलना या
सदैव चुप्पी लगाकर बैठना भी बुरा है। अतएव कम बोलो, सार्थक बोलो और हितकर बोलो। यही वाणी का
तप है।
(i) व्यक्ति की शोभा और आकर्षण किसे बताया गया है?

(ii) कैसे व्यक्तियों से लोग ऊब जाते हैं?

(iii) वाणी का तप किसे कहा गया है?

(iv) मरने के पश्चात भी लोगों की स्मृतियों में किस प्रकार जीवित रहा जा सकता है?

(V)
सबुद्ध
वक्ता
की
क्या
विशेषताएं
बताई
गई

(VI)
व्यक्ति हर परिस्थिति को अपने अनुकूल किस प्रकार बना सकता है?​

Answers

Answered by harshitasen3847
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Answer:

i ) बोलने का विवेक ,बोलने की कला और पटुता को

ii) विषय से हटकर बोलने वालों से ,अपनी बात को अकारण खींचते चले जाने वालों से

iii) अनुशासित ,संयमित, संतुलित और सार्थक वाणी को

iv) प्रतिभा कुंद हो जाती है

v) बढ़ा- चढ़ा कर बात करना|

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