) 'सुबह की किरण' शीर्षक पर एक कविता लिखिए एवं चित्र बनाइये |
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ये सुबह की हवा! ये सुबह की हवा!
हैं सभी रोगों की एक अच्छी दवा।
भोर होते ही घर से निकल जाइए,
दूर तक जा के थोड़ा टहल आइए,
ताजगी अपनी साँसों में भर लाइए,
ये सुबह की हवा! ये सुबह की हवा!
उगते सूरज की रंगोली को देखिए,
इन परिंदों की उस टोली को देखिए,
फूूल-पत्तों की हमजोली को देखिए,
ये सुबह की हवा! ये सुबह की हवा!
ये नजारा है बस थोड़ी ही देर का,
है किसे फिर पता वक्त के फेर का,
मुफ्त ले लीजिए बस मज़ा खेल का,
ये सुबह की हवा! ये सुबह की हवा!
जिंदगी में है सेहत नियामत बड़ी,
इसके आगे न दुनिया की दौलत बड़ी,
कौन जाने कहाँ है मुसीबत खड़ी,
ये सुबह की हवा! ये सुबह की हवा!
लेखक – रमेश तैलंग (ये सुबह की हवा)
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