सुबह के दस बज रहे थे। मुझे डाक से एक चिट्ठी मिली। मैं लिफ़ाफ़ा खोलकर चिट्ठी पढ़ने लगा-कृत
मेरे अखबार के लिए एक कविता भेज दीजिए। चिट्ठी के नीचे संपादक के हस्ताक्षर थे। संपादक का नाम
सिंह था। चिट्ठियाँ तो बराबर ही आती रहती हैं, पर इस चिट्ठी ने मेरे मन को अपनी ओर खींच लिया। इस
यह था कि चिट्ठी को लिखावट बड़ी सुंदर थी। हर अक्षर साँचे में ढला हुआ-सा मालूम पड़ता था।
महिपाल सिंह से मेरी कोई जान-पहचान नहीं थी। यह उनकी पहली चिट्ठी थी। लिखावट देखकर
| अनायास ही निकल पड़ा, “वाह! बड़ी सुंदर लिखावट है।"
मैंने दूसरे ही दिन कविता भेज दी।
कविता अख़बार में छपी। जिस अंक में छपी, वह अंक भी मेरे पास आया।
हार्थ: अनायास-अचानक एकाएक
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es question mein kya karna hai,samajh Nahi aa Raha hai
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I don't know what is answer of this question please tell me fastly.
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