सुबह-सुबह सड़क पर कचरा घुनते बच्चे को देखकर दो मित्रों में आपस में हुई बातचीत को संवाद के रूप में लिखो।
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हम आप जब अपने घरों से बाहर निकलते हैं अक्सर सड़क किनारे कुछ बच्चे कूड़ा-कचरा बीनते हैं, कई बार हम उनकी तरफ देखते तक नहीं, और देख लिया तो कार या बाइक की स्पीड बढ़ा लेते हैं। शहरों में कचरा उठाने आने वाले लोगों के साथ अक्सर उनके बच्चे होते हैं, हम उन्हें देखते हैं और अक्सर दीनहीन समझ आगे बढ़ जाते हैं, लेकिन इनकी मदद के लिए हाथ बहुत कम लोग बढ़ाते हैं।गोरखपुर की राजघाट बस्ती, जहां के बड़े इलाके में कूड़ा कचरा उठाने वाले लोग रहते हैं गोरखपुर में भी ऐसे बहुत सारे बच्चे हैं, जो कचरा बीनते हैं। लोगों के घरों से कूड़ा-करकट उठाकर लाते हैं। लेकिन ये बच्चे स्कूल भी जाते हैं। गोरखपुर शहर से 4 किलोमीटर दूर राप्ती नदी के किनारे बसी राजघाट बस्ती में ऐसा ही एक स्कूल है। जहां पढ़ने वाले सभी बच्चे रैग पिकर्स यानी कूड़ा-कचरा बीनने वाले हैं। सुबह कचरा बीनते थे, खाली दिनभर इधर-उधर घूमते रहते थे अब ये यहां आकर पढ़ाई करते हैं। पहले ये लोग गंदे भी रहते थे, लेकिन जब से स्कूल आने लगे हैं साफ सुथरे रहते हैं अच्छी भाषा बोलते हैं, बहुत कुछ बदल गया है इनमें।" इन बच्चों को पढ़ाने वाली अध्यापिका नीता साहनी बताती हैं।