सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता था
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मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा यह उम्मीद लगाता है कि आज की पीढ़ी के अंदर भी देशभक्त की भावना है। आज भी कुछ लोगो देशभक्ति और देशभक्तों के प्रति आदर वे श्रद्धा की भावना अभी भी विद्यमान है इससे पता चलता है कि लोगों में देशभक्तों के प्रति श्रद्धा खत्म नहीं हुई है।
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सुभाष चन्द्र बोस ने मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा यह उम्मीद जगाता था कि आज की पीढ़ी में भी देशभक्ति की भावना जागृत है।
- मूर्ति पर लगा चश्मा यह दर्शाता है कि लोगों में अभी भी देशभक्तों के प्रति सम्मान है। ये युवा बच्चे ही देश का भविष्य होते है।
- मूर्ति बनाने वाला नेताजी की मूर्ति में चश्मा बनाना भूल गया था चश्मे के बिना मूर्ति अधूरी लग रही थी इसलिए कैप्टन साहब अपनी दुकान से चश्मे का फ्रेम ले आते व अलग अलग तरह के चश्मे मूर्ति कर लगाकर जाते थे।
- चश्मे वाला भी देशभक्त था, वह स्वतंत्रता सेनानियों का बहुत सम्मान किया करता था।
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