सुभाषितानि पर 10 श्लोक in sanskrit
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Explanation:
कलहान्तानि हम्र्याणि कुवाक्यानां च सौहृदम् |
कुराजान्तानि राष्ट्राणि कुकर्मांन्तम् यशो नॄणाम् ||
झगडों से परिवार टूट जाते है | गलत शब्द के प्रयोग करने से दोस्ती टूट जाती है । बुरे शासकों के कारण राष्ट्र का नाश होता है| बुरे काम करने से यश दूर भागता है।
दुर्लभं त्रयमेवैतत् देवानुग्रहहेतुकम् ।
मनुष्यत्वं मुमुक्षुत्वं महापुरुषसंश्रय: ॥
मनुष्य जन्म, मुक्ति की इच्छा तथा महापुरूषों का सहवास यह तीन चीजें परमेश्वर की कृपा पर निर्भर रहते है ।
सुखार्थी त्यजते विद्यां विद्यार्थी त्यजते सुखम् ।
सुखार्थिन: कुतो विद्या कुतो विद्यार्थिन: सुखम् ॥
जो व्यक्ती सुख के पीछे भागता है उसे ज्ञान नहीं मिलेगा ।
तथा जिसे ज्ञान प्राप्त करना है वह व्यक्ति सुख का त्याग करता है ।
सुख के पीछे भागने वाले को विद्या कैसे प्राप्त होगी ? तथा जिस को विद्या प्रप्त करनी है उसे सुख कैसे मिलेगा?
सुभाषित क्र.214
दिवसेनैव तत् कुर्याद् येन रात्रौ सुखं वसेत् ।
यावज्जीवं च तत्कुर्याद् येन प्रेत्य सुखं वसेत् ॥
विदूरनीति
दिनभर ऐसा काम करो जिससे रात में चैन की नींद आ सके ।
वैसे ही जीवनभर ऐसा काम करो जिस से मृत्यु पश्चात् सुख मिले अर्थात् सद्गति प्राप्त हो ।
सुभाषित 215
उपार्जितानां वित्तानां त्याग एव हि रक्षणम् तडागोदरसंस्थानां परीवाह इवाम्भसाम्
कमाए हुए धन का त्याग करने से ही उसका रक्षण होता है । जैसे तालब का पानी बहते रहने सेे ही तालाब साफ रहता है।
खल: सर्षपमात्राणि पराच्छिद्राणि पश्यति ।
आत्मनो बिल्वमात्राणि पश्यन्नपि न पश्यति ॥
दुष्ट मनुष्य को दुसरे के भीतर के राइ इतने भी दोष दिखार्इ देते है परन्तू अपने अंदर के बिल्वपत्र जैसे बडे दोष नही दिखार्इ पडते ।
दानं भोगो नाश: तिस्त्रो गतयो भवन्ति