Hindi, asked by nkp906114, 7 hours ago

संभाषण कुशलता का केंद्रीय भाव

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Answered by kishantalk
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सम्भाषण की क

शलता माधव राओ सप्रे द्वारा ललखी गयी हैइनके नाम से

छत्तीसगढ़ में बोहोत सारे स्क

ल इत्यादि है | सम्भाषण िो शब्िों से लमलकर बना

है जिसमे भाषण का अर्थ अपने सम्यक रूप से ववचारो को व्यक्त करना है

सम्यक अर्ाथत िो हम कहना चाह रहे है हम उसे सही भाव से व्यक्त कर पा

रहे हैतर्ा क

शलता अर्ाथत इसमें ववशेषग्यता हालसल करना | हमारे संस्क

ृत में

बोहोत सारे नननत, श्लोक, सु

भावषतानन ने वाणी के महत्व पर वणनथ ककया गया

है | कब कहना है , कहा कहना हैऔर क्या कहना हैअगर यह क

शलता आ

िाये तो वह व्यजक्त आिर का पात्र होता है | यह महत्व है सम्भाषण की

शलता का, उस पाठ के बारे में माधव राओ सप्रे िी कहते हैसंसार में मन

ष्य

को जितनी भी  वाली चीज़ है उसमे एक परस्पर आलाप सम्भाषण

अर्वा बात-चचत भी एक चीज़ है | और यह के वल चीज़ नहीं है यह सम्भाषण

एक िसू रे को ववकलसत करने वाली प्रकिया हैइसके माध्यम से अपने ह्रिय की

संकिययता को िरू

करने का अच्छा अवसर भी लमलता हैअगर हम एक अच्छे

स्त्रोता है तभी हम एक अच्छे वक्त बन सकते हैइस शजक्त के सिप

योग से

हमारे िीवन के आंलशक सार्थकता हो सकती है और परोपकार भी ककया िा

सकता है | अतएव हमे इस शजक्त को सिैव स्वस्र् तर्ा अजिथत अवस्र्ा में

रखने का प्रयत्न करना चादहए |

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