Hindi, asked by trishnaagrawal, 1 month ago

संभाषण कुशलता पर पं. माधवराव सप्रे के विचार लिखिए​

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Answered by gadhavevasant283
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माधवराव सप्रे (जून १८७१ - २६ अप्रैल १९२६) हिन्दी के साहित्यकार, पत्रकार थे। वे हिन्दी के प्रथम कहानी लेखक के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने राष्ट्रीय कार्य के लिए उपयुक्त अनेक प्रतिभाओं को परख कर उनका उन्नयन किया। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भी उनकी अग्रणी भूमिका थी। प्रखर संपादक के रूप में लोक प्रहरी व सुधी साहित्यकार के रूप में उनकी भूमिका लोक शिक्षक की है। कोशकार और अनुवादक के रूप में उन्होंने हिंदी भाषा को समृद्ध किया।

चित्र:Sapre Ji 2.jpg

माधवराव सप्रे

वर्ष 1902 में उन्होंने काशी नागरी प्रचारिणी सभा के 'विज्ञान शब्दकोश' योजना को मूर्तरूप देने की जिम्मेदारी अपने हाथों में ली। उन्होने न केवल विज्ञान शब्दकोश का सम्पादन किया, बल्कि अर्थशास्त्र की शब्दावली की खोजकर उन्होंने इसे संरक्षित और समृद्ध भी किया। कहा जाता है कि हिंदी में अर्थशास्त्रीय चिंतन की परंपरा प्रारंभ सप्रे जी ने ही किया।[1] कुछ लोग उन्हें हिन्दी का प्रथम समालोचक भी मानते हैं।

परिचय

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