सुभद्रा कुमारी चौहान के विचारों से तुम सहमत हो ? अपने विचार लिखिए ?
Answers
Answer:
अपने विचारों, भावनाओं और संवेदनाओं को व्यक्त करने का सबसे सशक्त माध्यम मातृभाषा है। इसी के जरिये हम अपनी बात को सहजता और सुगमता से दूसरों तक पहुंचा पाते हैं। हिंदी की लोकप्रियता और पाठकों से उसके दिली रिश्तों को देखते हुए उसके प्रचार-प्रसार के लिए अमर उजाला ने ‘हिंदी हैं हम’ अभियान की शुरुआत की है।
इस अभियान के अंतर्गत हम प्रतिदिन हिंदी के मूर्धन्य कवियों से आपका परिचय करवाते हैं। चूंकि साहित्य किसी भी भाषा का सबसे सटीक दस्तावेज है जो सदियों को अपने भीतर समेटे हुए है इसलिए यह परिचय न सिर्फ़ एक कवि बल्कि भाषा की निकटता को भी सुनिश्चित करेगा, ऐसा विश्वास है।
इसके साथ ही अपनी भाषा के शब्दकोश को विस्तार देना स्वयं को समृद्ध करने जैसा है। इसके अंतर्गत आप हमारे द्वारा जानते हैं - आज का शब्द। हिंदी भाषा के एक शब्द से प्रतिदिन आपका परिचय और कवियों ने किस प्रकार उस शब्द का प्रयोग किया है, यह इसमें सम्मिलित है।
आप हमारे साथ इस मुहिम का हिस्सा बनें और भाषा की गरिमा का अनुभव करें। आज हम बात करेंगे हिंदी की उस कवयित्री के बारे में जो असहयोग आंदोलन में भाग लेने वाली पहली महिला भी थीं
ख़ूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को याद करते हुए अनेकों बार ये पंक्तियां पढ़ी गयीं। कवयित्री सुभद्राकुमारी चौहान की लिखी कविता में देश की उस वीरांगना के लिए ओज था, करूण था, स्मृति थी और श्रद्धा भी। इसी एक कविता से उन्हें हिंदी कविता में प्रसिद्धि मिली और वह साहित्य में अमर हो गयीं।
Explanation:
Answer:
सुभद्रा कुमारी चौहान एक भारतीय कवयित्री थीं। वह तेजतर्रार कवयित्री थीं और हम उनकी विचारों से पूरी तरह सहमत हैं|
उन्होंने कुछ अविश्वसनीय कविताएँ ("झाँसी की रानी" ) लिखीं, जिन्हें आज भी सराहा जाता है। हिंदी साहित्य में उनके योगदान ने उन्हें एक प्रतिष्ठित व्यक्तित्व बना दिया |
सुभद्रा कुमारी चौहान
- सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त 1904 को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में हुआ था।
- ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान (खंडवा के) से उनकी शादी 16 साल की उम्र में हुई थी।
- शादी के तुरंत बाद, वह जबलपुर चली गई। 1921 में, युगल महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए।
- सुभद्रा नागपुर में गिरफ्तार होने वाली पहली महिला सत्याग्रही थीं।
- कुमारी को ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने के कारण उनकी गतिविधियों के दौरान दो बार (1923 और 1942) जेल में बंद किया गया था।
- वह राज्य की विधान सभा की सदस्य भी बनीं, जिसने युवाओं को उनके अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया।
- उनके गद्य और कविता मुख्य रूप से भारतीय महिलाओं की कठिनाइयों और जाति भेदभाव को दूर करने के उनके प्रयासों पर केंद्रित थे।
#SPJ2