'सुबरन कलस सूरा भरा ' अलंकार स्पष्ट कीजिए
Answers
Answered by
10
Explanation:
यह कबीर के एक दोहे का अंश है
पूरा दोहा इस प्रकार है......
ऊंचे कुल का जनमिया, करणी ऊंच न होइ
सुबरण कलश सुरा भरा, साधु निंदा सोई
जिसका आशय है........ उच्च कुल में जन्म लेकर भी पाप कर्म करने वाले व्यक्ति की निंदा ही होती है।
ऐसा व्यक्ति स्वर्ण अर्थात सोने से बने उस घड़े के समान है जिसमे शराब जैसा तुच्छ पेय भरा हुआ हो
Similar questions