साँच बराबर तप नहा, झूठ बराबर पाप।
Answers
Answered by
2
Explanation:
साँच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप। ... अर्थात् सत्य के समान कोई तपस्या नहीं है और झूठ के समान कोई पाप नहीं है। जिसके हदय में सत्य का वास है, उसी के हदय के परमात्मा का निवास है। इस अर्थ का तात्पर्य यह है कि सत्य ऐसी एक महान तपस्या है, जिससे बढ़कर और कोई तपस्या नहीं हो सकती है।
HOPE IT HELPS ! !
PLEASE MARK ME AS BRAINLIEST! ! !
PLEASE FOLLOW ME!!
Similar questions