Hindi, asked by Rafelacwrdan, 9 months ago

साँच बराबर तप नहा, झूठ बराबर पाप।​

Answers

Answered by rani651
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Explanation:

साँच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप। ... अर्थात् सत्य के समान कोई तपस्या नहीं है और झूठ के समान कोई पाप नहीं है। जिसके हदय में सत्य का वास है, उसी के हदय के परमात्मा का निवास है। इस अर्थ का तात्पर्य यह है कि सत्य ऐसी एक महान तपस्या है, जिससे बढ़कर और कोई तपस्या नहीं हो सकती है।

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