Hindi, asked by ayaanfaheem, 5 months ago

साँच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप।
जाके हिरदै साँच है, ताके हिरदै आप।।​

Answers

Answered by mehra12345
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Explanation:

अर्थात् सत्य के समान कोई तपस्या नहीं है और झूठ के समान कोई पाप नहीं है। जिसके हदय में सत्य का वास है, उसी के हदय के परमात्मा का निवास है। इस अर्थ का तात्पर्य यह है कि सत्य ऐसी एक महान तपस्या है, जिससे बढ़कर और कोई तपस्या नहीं हो सकती है। इसी तरह से झूठ एक ऐसा घोर पाप है, जिससे बढ़कर और कोई पाप नहीं हो सकता है। अतएव सत्य रूपी तपस्या के द्वारा ही ईश्वर की प्राप्ति सम्भव होती है। कहने का भाव यह है कि सत्य का घोर साधना है, जिसकी प्राप्ति मानवता की प्राप्ति है, देवत्व की प्राप्ति है और यही जीवन की सार्थकता है।

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