साँच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप ।
जाके हृदय सॉस है ,ताकि हृदय आप ।।
कहि रहीम संपत्ति सगे,बात बहुत बहुत रीत।
विपत्ति कसौटी जे कसै, ते ही सौंचे मौत
क कवि ने सच और झूठ को किसके समान कहा है ?
ख ईश्वर किसके हृदय में निवास करते हैं?
ग हमारे बहुत से मित्र कड बन जाते हैं ?
घ सच्चे मित्र की पहचान क्या होती है?
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क. कवि ने सच और झूठ को किसके समान कहा है ?
कबीर कहते हैं कि इस संसार में सच्चाई के मार्ग पर चलने से बड़ा कोई तप नहीं है, यानि जो सत्य के मार्ग पर चलता है वह ही सच्चा तपस्वी है। कबीर दास जी ने सत्य को तप के समान माना है तथा झूठ बराबर पाप है।
ख. ईश्वर किसके हृदय में निवास करते हैं?
सच्चे व्यक्ति के हृदय में ईश्वर निवास करते हैं।
ग. हमारे बहुत से मित्र कब बन जाते हैं ?
जीवन में जब हमारे पास धन, पद, प्रतिष्ठा आती है तो सभी आपके सगे संबंधी तथा मित्र बन जाते हैं, लेकिन जब विपत्ति आती है तो आपके सगे संबंधी आपको छोड़ देते हैं।
घ. सच्चे मित्र की पहचान क्या होती है?
सच्चे मित्र की पहचान विपत्ति के समय ही होती है। जो मित्र विपत्ति में आपका साथ दे वही सच्चा मित्र है।
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