सोच के कोई दो लक्षण बताएं
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हर रोज आप कैसा महसूस करते हैं। इस पर दो हफ्ते नजर रखें। यदि आप खुद को डिप्रेशन के मूड में महसूस कर रहे हैं, जैसे कि गहरी उदासी और जिन चीजों में आपकी पहले दिलचस्पी थी, अब उनमें रुचि खो बैठे हैं तो शायद आप डिप्रेशन के शिकार हैं। यह लक्षण दिन में ज्यादातर वक्त हावी रहता है और कम से कम दो हफ्ते तक आप इसे रोज महसूस करेंगे। ये लक्षण दो हफ्ते तक रहेंगे। इसके बाद कई लक्षण ऐसे हैं, जो कुछ समय तक नहीं दिखते हैं। इसे रेकरेंट एपिसोड कहते हैं।
डिप्रेशन में मूड में बदलाव, किसी के सामाजिक व्यवहार, कार्यालय के सामान्य बर्ताव को बदल देता है। बच्चा स्कूल जाना या वर्किंग है तो काम पर जाना भी बंद कर सकता है। इससे ग्रसित मरीजों से बातचीत की जाए, तो भी इसका पता किया जा सकता है। वे ज्यादातर नेगेटिव बातें ही करते हैं।
जानिए अवसाद और उदासी में फर्क
उदासी भावनात्मक स्थिति है, जो तनाव, जिंदगी की बड़ी घटनाएं (पॉजिटिव और निगेटिव दोनों) और यहां तक कि मौसम के असर से भी पैदा होती हैं। उदासी और डिप्रेशन में फर्क इसके लक्षणों की तीव्रता और इसके बार-बार लौट आने से किया जा सकता है। यदि ये लक्षण दो हफ्ते तक रहते हैं, तो डिप्रेशन हो सकता है।
तीन वजहों से डिप्रेशन
डिप्रेशन के कई कारण होते हैं, लेकिन इनमें तीन प्रमुख कारण होते हैं। पहला आनुवांशिक होता है। यदि किसी के माता-पिता डिप्रेशन के मरीज रहे हैं या परिवार में या किसी रिश्तेदार ने डिप्रेशन के कारण आत्महत्या कर ली हो, तो डिप्रेशन में आने की आशंका ज्यादा होती है। दूसरा कारण व्यक्तित्व हो सकता है। ऐसे में किसी व्यक्ति को छोटी सी बात भी चुभती है। तीसरा कारण वातावरण है। यदि किसी को नजरअंदाज क
रते हैं। मानसिक प्रताडि़त करते हैं, तो डिप्रेशन में आ सकता है।
दोस्त की तरह पेश आएं
यदि बच्चे में डिप्रेशन की समस्या है, तो दोस्त की तरह उसकी बातें सुनें। उसे डांटे नहीं। प्यार से पेश आएं। इसके मरीज किसी और से मदद भी मांगते हैं। हैल्दी डाइट, 7-9 घंटे की नींद और नियमित व्यायाम भी इसमें जरूरी है।
खुद की गतिविधियों पर इस तरह रखें नजर
पिछले सप्ताह जो काम किए हैं उन्हें लिखें। अपने मूड के पैटर्न को लिखिए। एनर्जी, हैल्थ और नींद पर असर डालने वाले पैटर्न को नोट करें। गौर करें कि इन गतिविधियों में कोई पैटर्न देख पा रहे हैं? कुछ काम जिन्हें आप खुशी-खुशी करते थे, क्या कोई कमी देख रहे हैं। अपने करीबी लोगों से पूछिए कि क्या उन्होंने आपके मूड में कोई फर्क देखा है। परिवार के किसी भरोसेमंद सदस्य या किसी दोस्त से भी पूछिए कि
क्या आपके व्यवहार में कोई बदलाव देखा है।
ये हैं दस लक्षण
1. भूख और वजन में गिरावट
2. अनिद्रा या ज्यादा सोना
3. थकान और एनर्जी में कमी
4. चिड़चिड़ापन, आक्रामकता
5. अत्यधिक अपराध बोध या हीनता का बोध
6. एकाग्रता में कमी, खुद को उलझा महसूस करना
7. बार-बार मृत्यु या आत्महत्या का खयाल आना, कोशिश करना
8. स्ट्रेस वाली जॉब, परिवार से दूर रहना, नकारात्मक सोच
9. अस्त-व्यस्त दिनचर्या
10.हर कार्य में बढ़-चढ़ कर भाग लेने वाला व्यक्ति के व्यवहार में एकाकीपन आना