सॉच को ऑच नही - अनुच्छेद लेखन
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हम सभी जानते हैं की सांच को कभी आंच नहीं होती अगर कोई इंसान अपने जीवन में सत्य के मार्ग पर चलता है तो उसे कुछ समय तक मुश्किलों का सामना तो करना पड़ता है लेकिन अंत में उसके जीवन से मुसीबतें हमेशा दूर हो जाती हैं क्योंकि सांच को कभी नहीं होती.आज के जमाने में बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो कहते हैं की झूठ बोले बगैर काम नहीं चलेगा लेकिन झूठ बोलकर हम सभी कुछ समय के लिए आनंद जरूर ले सकते हैं लेकिन झूठ बोलकर लंबे समय तक सही तरह से जीवन यापन करना मुश्किल है इसलिए हमें हमेशा सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए.हमारे भारत देश में आज हम स्वतंत्र हैं लेकिन पहले ऐसा कुछ भी नहीं था बहुत से स्वतंत्रता सेनानियों ने हमें अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त कराया लेकिन अगर हम मुक्त नहीं होते तो अभी भी हम गुलामी की जंजीरों में फंसकर बहुत सी मुसीबतों का सामना कर रहे होते.महात्मा गांधी,चंद्रशेखर आजाद,भगत सिंह,लाला लाजपत राय जैसे बहुत सारे स्वतंत्रता सेनानियों ने हम सभी को गुलामी से आजाद कराने के लिए बहुत सी परेशानियों का सामना किया है.बहुत से स्वतंत्रता सेनानी इस स्वतंत्रता की लड़ाई में मारे गए थे बहुत से स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी दे दी गई थी लेकिन फिर भी उनके किए गए प्रयासों से आज हम लाभान्वित हैं आज भी महात्मा गांधी जी को पूजा जाता है क्योंकि अगर हम सत्य के मार्ग पर चलते हैं तो कुछ समय के लिए मुसीबतें जरूर आती हैं लेकिन सत्य की जय जयकार होती है.
हम सभी जानते हैं की सत्यवादी राजा हरीशचंद्र हमेशा सत्य के मार्ग पर चलते थे उन्होंने अपने जीवन में कभी भी झूठ का सहारा नहीं लिया सत्य के मार्ग पर चलते हुए उन्हें बहुत सारी मुसीबतों का सामना करना पड़ा उनके बीवी बच्चे भी उनसे अलग हो गए उनकी स्थिति बहुत ही बुरी हो गई थी लेकिन सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र ने अपना राज्य वापस पाया था और आज भी सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र का नाम इतिहासों में लिखा गया है वह हमेशा हमेशा के लिए अमर हो चुके हैं वाकई में सत्य के मार्ग पर चलने वाले इंसान कुछ समय के लिए परेशानी का सामना जरूर करते हैं लेकिन सांच को कभी आंच नहीं होती.
श्री रामचंद्र जी जब वन में 14 वर्ष यापन कर रहे थे तब रावण ने सीता मैया का हरण किया.रावण बहुत ही शक्तिशाली था लेकिन कहते हैं कि सांच को आंच नहीं.श्री रामचंद्र जी सत्य के मार्ग पर चलने वाले थे उन्होंने घरवालों के साथ में मिलकर सत्य के मार्ग पर चलकर लंकापति रावण को मार गिराया और सत्य की स्थापना की उन्होंने इस बीच काफी कोशिश की,बहुत सारी मुसीबतों का सामना किया लेकिन अंत में सत्य की जीत हुई.
hope it will help you.....
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हम सभी जानते हैं की सांच को कभी आंच नहीं होती अगर कोई इंसान अपने जीवन में सत्य के मार्ग पर चलता है तो उसे कुछ समय तक मुश्किलों का सामना तो करना पड़ता है लेकिन अंत में उसके जीवन से मुसीबतें हमेशा दूर हो जाती हैं क्योंकि सांच को कभी नहीं होती.आज के जमाने में बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो कहते हैं की झूठ बोले बगैर काम नहीं चलेगा लेकिन झूठ बोलकर हम सभी कुछ समय के लिए आनंद जरूर ले सकते हैं लेकिन झूठ बोलकर लंबे समय तक सही तरह से जीवन यापन करना मुश्किल है इसलिए हमें हमेशा सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए.हमारे भारत देश में आज हम स्वतंत्र हैं लेकिन पहले ऐसा कुछ भी नहीं था बहुत से स्वतंत्रता सेनानियों ने हमें अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त कराया लेकिन अगर हम मुक्त नहीं होते तो अभी भी हम गुलामी की जंजीरों में फंसकर बहुत सी मुसीबतों का सामना कर रहे होते.महात्मा गांधी,चंद्रशेखर आजाद,भगत सिंह,लाला लाजपत राय जैसे बहुत सारे स्वतंत्रता सेनानियों ने हम सभी को गुलामी से आजाद कराने के लिए बहुत सी परेशानियों का सामना किया है.बहुत से स्वतंत्रता सेनानी इस स्वतंत्रता की लड़ाई में मारे गए थे बहुत से स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी दे दी गई थी लेकिन फिर भी उनके किए गए प्रयासों से आज हम लाभान्वित हैं आज भी महात्मा गांधी जी को पूजा जाता है क्योंकि अगर हम सत्य के मार्ग पर चलते हैं तो कुछ समय के लिए मुसीबतें जरूर आती हैं लेकिन सत्य की जय जयकार होती है.
हम सभी जानते हैं की सत्यवादी राजा हरीशचंद्र हमेशा सत्य के मार्ग पर चलते थे उन्होंने अपने जीवन में कभी भी झूठ का सहारा नहीं लिया सत्य के मार्ग पर चलते हुए उन्हें बहुत सारी मुसीबतों का सामना करना पड़ा उनके बीवी बच्चे भी उनसे अलग हो गए उनकी स्थिति बहुत ही बुरी हो गई थी लेकिन सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र ने अपना राज्य वापस पाया था और आज भी सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र का नाम इतिहासों में लिखा गया है वह हमेशा हमेशा के लिए अमर हो चुके हैं वाकई में सत्य के मार्ग पर चलने वाले इंसान कुछ समय के लिए परेशानी का सामना जरूर करते हैं लेकिन सांच को कभी आंच नहीं होती.
श्री रामचंद्र जी जब वन में 14 वर्ष यापन कर रहे थे तब रावण ने सीता मैया का हरण किया.रावण बहुत ही शक्तिशाली था लेकिन कहते हैं कि सांच को आंच नहीं.श्री रामचंद्र जी सत्य के मार्ग पर चलने वाले थे उन्होंने घरवालों के साथ में मिलकर सत्य के मार्ग पर चलकर लंकापति रावण को मार गिराया और सत्य की स्थापना की उन्होंने इस बीच काफी कोशिश की,बहुत सारी मुसीबतों का सामना किया लेकिन अंत में सत्य की जीत हुई.
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