संचार के स्वरूपों को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं
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संचार प्रेषक का प्राप्तकर्ता को सूचना भेजने की प्रक्रिया है जिसमे जानकारी पहुंचाने के लिए ऐसे माध्यम (medium) का प्रयोग किया जाता है जिससे संप्रेषित सूचना प्रेषक और प्राप्तकर्ता दोनों समझ सकें यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिस के द्वारा प्राणी विभिन्न माध्यमों के द्वारा सूचना का आदान प्रदान कर सकते हैं संचार की मांग है कि सभी पक्ष एक समान भाषा का बोध कर सकें जिस का आदान प्रदान हुआ हो, श्रावानिक (auditory) माध्यम हैं (जैसे की) बोली, गान और कभी कभी आवाज़ का स्वर एवं गैर मौखिक (nonverbal), शारीरिक माध्यम जैसे की शारीरिक हाव भाव (body language), संकेत बोली (sign language), सम भाषा (paralanguage), स्पर्श (touch), नेत्र संपर्क (eye contact) अथवा लेखन (writing) का प्रयोग संचार की परिभाषा है - एक ऐसी क्रिया जिस के द्वारा अर्थ का निरूपण एवं संप्रेषण (convey) सांझी समझ पैदा करने का प्रयास में किया जा सके इस क्रिया में अंख्या कुशलताओं के रंगपटल की आवश्यकता है अन्तः व्यक्तिगत (intrapersonal) और अन्तर व्यक्तिगत (interpersonal) प्रक्रमण, सुन अवलोकन, बोल, पूछताछ, विश्लेषण और मूल्यांकनइन प्रक्रियाओं का उपयोग विकासात्मक है और जीवन के सभी क्षेत्रों के लिए स्थानांतरित है : घर, स्कूल, सामुदायिक, काम और परे.संचार के द्बारा ही सहयोग और पुष्टिकरण होते हैं[1] संचारण विभिन्न माध्यमों[2] द्बारा संदेश भेजने की अभिव्यक्ति है चाहे वह मौखिक अथवा अमौखिक हो, जब तक कोई विचारोद्दीपक विचार संचारित (transmit) हो भाव (gesture) क्रिया इत्यादि
संचार कई स्तरों पर (एक एकल कार्रवाई के लिए भी), कई अलग अलग तरीकों से होता है और अधिकतम प्राणियों के लिए, साथ ही कुछ मशीनों के लिए भी .यदि समस्त नहीं तो अधिकतम अध्ययन के क्षेत्र संचार करने के लिए ध्यान के एक हिस्से को समर्पित करते हैं, इसलिए जब संचार के बारे में बात की जाए तो यह जानना आवश्यक है कि संचार के किस पहलू के बारे में बात हो रही है। संचार की परिभाषाएँ श्रेणी व्यापक हैं, कुछ पहचानती हैं कि पशु आपस में और मनुष्यों से संवाद कर सकते हैं और कुछ सीमित हैं एवं केवल मानवों को ही मानव प्रतीकात्मक बातचीत के मापदंडों के भीतर शामिल करते हैं
बहरहाल, संचार आमतौर पर कुछ प्रमुख आयाम साथ में वर्णित है: विषय वस्तु (किस प्रकार की वस्तुएं संचारित हो रहीं हैं), स्रोत, स्कंदन करने वाला, प्रेषक या कूट लेखक (encoder) (किस के द्वारा), रूप (किस रूप में), चैनल (किस माध्यम से), गंतव्य, रिसीवर, लक्ष्य या कूटवाचक (decoder) (किस को) एवं उद्देश्य या व्यावहारिक पहलू.पार्टियों के बीच, संचार में शामिल है वेह कर्म जो ज्ञान और अनुभव प्रदान करें, सलाह और आदेश दें और सवाल पूछें यह कर्म अनेक रूप ले सकते है, संचार के विभिन्न शिष्टाचार के कई रूपों में से उस का रूप समूह संप्रेषण की क्षमता पर निर्भर करता हैसंचार, तत्त्व और रूप साथ में संदेश (message) बनाते हैं जो गंतव्य (destination) की ओर भेजा जाता हैलक्ष्य ख़ुद, दूसरा व्यक्ति (person) या हस्ती, दूसरा अस्तित्व (जैसे एक निगम या हस्ती के समूह) हो सकते हैं
संचार प्रक्रियासूचना प्रसारण (information transmission) के तीन स्तरों द्वारा नियंत्रित शब्दार्थ वैज्ञानिक (semiotic) नियमों के रूप में देखा जा सकता है
वाक्यात्मक (Syntactic) (संकेतों और प्रतीकों का औपचारिक गुण),
व्यावहारिक (pragmatic) (संकेतों के बीच रिश्तों के साथ संबंध / अभिव्यक्ति और उनके प्रयोक्ताओं) और
शब्दार्थ विज्ञान (semantic) (संकेत और चिह्न के बीच के संबंधों का अध्ययन और वेह क्या प्रर्दशित करते हैं
इसलिए, संचार सामाजिक संवाद है जहाँ कम से कम दो बातचीत करने वाले एक समान चिन्हों और शब्दार्थ विज्ञान (semiotic) समुच्चय नियमों में भागीदार हों. कुछ अर्थों में यह सामान्यतः आयोजित शासन अन्तः व्यक्तिगत संवाद (intrapersonal communication) सहित दिनचर्या या स्वयं वार्तालाप के माध्यम से स्वतः संवाद (autocommunication) की अवहेलना करता है
संचार प्रमुख आयाम योजनासंचार कोड योजना
एक साधारण माडल में, जानकारी या सामग्री (जैसे प्राकृतिक भाषा में संदेश) कुछ रूप में भेजा जाता है (बोली के भेष में) एक एमिसर / संदर / कूट लेखक (encoder) के द्वारा एक गंतव्य / प्राप्तकर्ता / कूटवाचक (decoder) को थोड़े अधिक जटिल रूप में एक प्रेषक और एक प्राप्तकर्ता पारस्परिक रूप से एक दूसरे से जुड़े हैं संचार का एक विशिष्ट उदाहरण को कहा जाता है भाषण अधिनियम (speech act).संचार शोर (communication noise) की उपस्थिति में इस संचरण चैनल पर (यहाँ हवा में), स्रोत की प्राप्ति और कूट्वाचना दोषपूर्ण हो सकते हैं और इस प्रकार के भाषण अधिनियम अपेक्षित परिणाम से वांछित रह सकते हैं इस कूट लेखक - संचरण - प्राप्ति - कूत्वाचना नमूने की समस्या यह है कि यह प्रतीत होता है कि कूट लेखक और कूत्वाचक दोनों के पास ही कुछ ऐसा औजार है जो कोड किताब का काम करती है और यह कोड किताब अगर एक् नहीं तो एक् जैसी तो ज़रूर है। हालां कि कोड किताब जैसा इस मॉडल में कुछ विवक्षित है, वेह दरअसल है नहीं और इस kaaranvash संकल्पनात्मक बाधाएं आती hain
सह-विनियमन (coregulation) के सिद्धांत संचार को एक रचनात्मक और गतिशील निरंतर प्रतिक्रिया के रूप में वर्णित किया जाता है बजाई के जानकारी के एक असतत विनिमय रूप में.