सूचकांक-इस ऑफ़ डूइंग बिज़नस के प्रमुख जारीकर्ता कोण हे
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विश्व बैंक की कारोबार सुगमता सूची-2020 में देश ने 14 पायदान की छलांग लगाई है.
नई दिल्ली: कारोबार सुगमता यानी 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' में बेहतरी के लिए लगातार प्रयासों का असर अब दिखने लगा है. इसके चलते विश्व बैंक की कारोबार सुगमता सूची-2020 में देश ने 14 पायदान की छलांग लगाई है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने गुरुवार को एक बयान में यह बात कही.
विश्व बैंक की कारोबार सुगमता सूची-2020 में भारत की रैंकिंग 63वीं रही है. पिछली सूची में भारत का स्थान 77वां था. इस सूची में 190 देशों की रैंकिंग की गई. विश्व बैंक की रिपोर्ट में इस रैंकिंग सुधार की अहम वजह सरकार का 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम और निवेश आकर्षित करने के लिए अन्य सुधार करना बताया गया.
इसके अलावा इनसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड को सफलतापूर्वक लागू करने के चलते भी भारत की रैंकिंग सुधरी है. बयान में कहा गया है कि सरकार के लगातार प्रयासों से 2014-19 तक पांच सालों में देश की इस रैकिंग में 79 स्थान का सुधार आया है. भारत ने सूची के 10 मानकों में से सात पर बेहतर प्रदर्शन किया है.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब 2014 में कुर्सी संभाली थी, तब इस सूची में देश की रैंकिंग 142 थी. चार साल के आर्थिक सुधारों के बाद 2018 की कारोबार सुगमता सूची में भारत शीर्ष 100 देशों में शामिल हो गया.
मंत्रालय ने कहा, ''इनसॉल्वेंसी रेजोल्यूशन, निर्माण से जुड़ी अनुमतियों से निपटने, परिसंपत्ति के पंजीकरण, सीमा पार व्यापार और कर भुगतान के संकेतकों में हमने बेहतर प्रदर्शन किया है.''
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सरकार का लक्ष्य देश को कारोबार सुगमता सूची वाले 50 शीर्ष देशों में शामिल कराने का है. भारत की रैकिंग में सुधार पर टिप्पणी करते हुए डेलॉइट के चेयरमैन श्यामक टाटा ने कहा कि विकास ने देश को सबसे आकर्षक निवेश स्थान की श्रेणी में ले आया है. यह देश की विकास गाथा का हिस्सा बनने के लिए विदेशी निवेशकों को प्रोत्साहित करेगा.
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग के पूर्व सचिव रमेश अभिषेक ने कहा कि यह दिखाता है कि सुधार को लेकर अधिकारियों की पूर्ण प्रतिबद्धता और मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति से कितना कुछ हासिल किया जा सकता है.
रैंकिंग में लंबी छलांग पर खुशी जताते हुए नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने इसे एक बड़ी उपलब्धि बताया. हालांकि उन्होंने कुछ और मानकों पर बेहतरी की उम्मीद जताई.
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