सोचकर लिखिए की याद सारी सुविधाए देकर एक कामरे आपको सोर दिन बंद रहने को कहा जाए तो आप क्या स्वकार करेंगे ? (स्वधीनता या प्रतिलोभनो वाली पाराधिनता ) और क्यों लिखिए।
Answers
Answer:
1952: कांग्रेस को 39.91 प्रतिशत वोट और 102 सीटों पर जीत।
1957: 45.13 प्रतिशत वोट और 119 विधायकों को लेकर कांग्रेस फिर सत्ता में पहुंची।
1962: कांग्रेस का वोट प्रतिशत तो बढ़ा लेकिन सीटें घटकर 88 रह गईं।
1967: 41.41 फीसदी मत लेकर कांग्रेस 89 सीटों पर जीती।
1972: कांग्रेस ने 51.14 प्रतिशत वोट लेकर 145 सीटें जीती।
1977: जनता पार्टी को 50.41 प्रतिशत वोट और 150 सीटें मिली।
1980: कांग्रेस की 133 सीटों के साथ वापसी हुई।
1985: कांग्रेस ने 46.79 वोट लेकर 113 विधायक जिताए।
1990: भाजपा से 8.89 प्रतिशत अधिक वोट लेकर भी कांग्रेस हार गई।
1993: भाजपा ने 38.60 प्रतिशत और 96 सीटों के साथ सत्ता में वापसी की।
1998: कांग्रेस ने 44.95 प्रतिशत वोट लिए और सरकार बनाई।
2003: भाजपा को 39.20 वोट के साथ कांग्रेस को सत्ता से बाहर किया।
2008: कांग्रेस ने 36.82 प्रतिशत वोट लिए और सरकार बनाई।
2013: मोदी लहर में भाजपा ने 46.05 % वोट और 163 सीटें लेकर कांग्रेस को 21 सीटों पर समेटा।
Explanation:
सरकार की नीतियों ने सिंहलो-भाषी बहुसंख्यकों को प्रभुत्व बनाए नदियों पर बाँध बनाने और उनको नियत्रित करने से उनका प्राकृतिक बहाव और तलछट बहाव प्रभावित नहीं होता। वहां सामाजिक विभाजन होता है।प्रगति मैदान में आज से 24वां दिल्ली पुस्तक मेला शुरू होने जा रहा है। इस बार पुस्तक मेले में डिजिटल किताबों को बाजार गर्म होने की बात कही जा रही है। मेले को लेकर आईटीपीओ ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। पुस्तक मेला 2 सितंबर तक चलेगा। मेले में पाठकों का प्रवेश नि:शुल्क रहेगा।
आईटीपीओ के मुताबिक, दिल्ली पुस्तक मेले में देशभर के 120 प्रदर्शक अपनी पुस्तकें लेकर पहुंचे हैं। इस बार मेले में पाठकों को डिजिटल किताबों से भी रू-ब-रू होने का मौका मिलेगा। खास बात यह है कि डिजीटल किताबों के जरिये पाठकों को नई-नई तकनीकों के बारे में जानकारी मिलेगी। प्रगति मैदान के हॉल नंबर 7 में लगने वाले मेले के लिए पाठकों को गेट नंबर एक, 8 और 10 से प्रवेश मिलेगा। सवाल पर भोला सिंह कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में देश की सरकार और वरिष्ठ नेताओं की टीम उचित समय पर कोई सही फ़ैसला लेगी. भोला सिंह ने इतना ज़रूर कहा कि देश में बढ़ती जनसंख्या और सीमित संसाधनों के बीच लोगों तक सुविधाएं पहुंचाने में मशक्कत करनी पड़ती है. ऐसे में इस तरह का कानून लाने का मुद्दा प्रासंगिक है. भोला सिंह पहले तो इस विषय को खुद के दायरे से बाहर