Hindi, asked by sudhayadav2021, 10 months ago

* सूचना के
अनुसार कृतियाँ कीजिए:
(१) लिखिए:
निम्नलिखित हाइकु द्वारा मिलने वाला संदेश
करते जाओ पाने की मत सोचो जीवन सारा । भीतरी कुंठा नयनों के द्वार से आई बाहर ।​

Answers

Answered by bharatsingh72
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Answer:

1. संस्कृत के 'कर्मण्ये वाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचनं' इस सुवचन के अनुसार ही परिहार जी ने जीवन का सही सार बताने की कोशिश की है। हमें अपने जीवन में कर्मरत रहकर क्रिया-कलाप करते रहना चाहिए।  फल कभी-न-कभी मिल ही जाएगा। यदि फल के बारे में सोचते रहे तो कर्म और जीवन का आनंद गवाँ बैठेंगे। तो बस काम करते जाओ, फल तो अपने - आप मिल जाएगा। किसी ने सही कहा है - 'काम करेंगे-काम करेंगे, जग में हम कुछ नाम करेंगे।'

2. कहा जाता है कि मनुष्य नहीं उसकी आँखें और चेहरा बोलता है। जब मनुष्य खुश होता है तो चेहरे पर अनोखी चमक दिखाई देती है उसी तरह मनुष्य के जीवन की निराशा जन्य अतृप्ति की भावनाएँ (कुंठा) उसके चेहरे पर एवं आँखों में उतरती है। उस मनुष्य का जीवन कितनी निराशा से भरा है, इसका पता चलता है। ऐसे वक्त उन्हें प्रेरित कर जीवन की आदर्शता से अवगत करे। महत्वपूर्ण बात यह है कि हर एक को मनुष्य के चेहरे तथा आँखे पढ़नी आनी चाहिए। 

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