* सूचना के अनुसार कृतियाँ करो :-
(१) कृति पूर्ण करो:
ऐसी वाणी बोलनी है जिससे
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“ऐसी वाणी बोलिये मन का आपा खोय।
औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होय।”
Explanation:
महाकवि संत कबीर दास के दोहे में कहा गया है कि हमें ऐसी मधुर वाणी बोलनी चाहिए, जिससे कि दूसरों को शीतलता का अनुभव हो और साथ ही हमारा मन भी प्रसन्न हो उठे। हम प्रसन्न जग प्रसन्न हो।
अर्थात वक्ता के मधुर वचन बोलने से श्रोताओं को सुखद अनुभूति होती है और मन प्रफुल्लित हो जाता है स्वयं में भी वक्ता को भी आंतरिक अनुभूति होती है। और वो वक्ता स्वयं आप है।
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