सूचना के अधिकार की व्याख्या कीजिए
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किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में सूचना का अधिकार मिलने का अर्थ है कि जनता की भागीदारी सुनिश्चित की जाए। सूचना का अधिकार प्रदान करना, जन भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया एक सही कदम होता है। किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में संवैधानिक सत्ता से शासन संबंधी आवश्यक सूचना पाने का अधिकार जनता को होना चाहिये। इसी लिये सूचना का अधिकार अधिनियम लाया गया।
सूचना का अधिकार एक अधिनियम है, जो 2005 में अस्तित्व में आया था। इस अधिनियम का उद्देश्य नागरिकों को सरकार के कार्य संबंधी किसी भी जानकारी को सरल और सहज रूप से उपलब्ध कराना है। इस अधिनियम के द्वारा कोई भी व्यक्ति सरकार सरकार की किसी भी गतिविधि के विषय में जानकारी पा सकता है। इस अधिनियम के कारण देश के नागरिक सशक्त और जागरूक बनते हैं और सरकार का भी देश की जनता के प्रति उत्तरदायित्व बढ़ता है और उसके कार्यों में पारदर्शिता आती है तथा भ्रष्टाचार नियंत्रित होता है।
लोकतंत्र के इस युग में सूचना का अधिकार अधिनियम एक उपयोगी हथियार है। इसके माध्यम से जनता अपनी सरकार के कार्यों पर नजर रख सकती है और उसके विषय में जब चाहे जानकारी प्राप्त कर सकती है। पहले संवैधानिक सकता से आवश्यक सूचना पाने का जो अधिकार केवल कुछ चुने हुए जनप्रतिनिधियों तक ही सीमित था, अब वही अधिकार आम जनता को मिल गया है अर्थात जनता में कमजोर से कमजोर वर्ग का व्यक्ति भी सरकार के कार्यकलापों के विषय में समुचित सूचना पा सकता है।
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