सोडियम धातु को जेल में डाला जाता है रासायनिक समीकरण लिखिए
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सोडियम (Sodium ; संकेत, Na) एक रासायनिक तत्त्व है। यह आवर्त सारणी के प्रथम मुख्य समूह का दूसरा तत्व है। इस समूह में में धातुगण विद्यमान हैं। इसके एक स्थिर समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या २३) और चार रेडियोसक्रिय समस्थानिक (द्रव्यमन संख्या २१, २२, २४, २४) ज्ञात हैं।
Explanation:
सोडियम एक संयोजक यौगिक बनाता है। सोडियम यौगिक जल में प्राय: विलेय होते हैं।
सोडियम के दो ऑक्साइड ज्ञात हैं Na2O और Na2O2। सोडियम धातु पर ३०० डिग्री सें. पर वायु प्रवाहित करने में सोडियम परऑक्साइड बनेगा। यह शुष्क वायु में स्थायी होता है और जल में शीघ्र अपघटित हो सोडियम हाइड्रॉक्साइड में परिणत हो जाता है। यह सुविधानुसार ऑक्सीकारक (oxidant) तथा अपचायक (reductant) दोनों का ही कार्य कर सकता है। यह कार्बन मोनोआक्साइड (CO) और कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) दोनों से मिलकर सोडियम कार्बोनेट बनाता है। कार्बन डाइऑक्साइड से क्रिया के फलस्वरूप ऑक्सिजन मुक्त होता है। इस क्रिया का उपयोग बंद स्थानों (जैसे पनडुब्बी नावों) में ऑक्सिजन निर्माण में हुआ है।
सोडियम और हाइड्रोजन का यौगिक सोडियम हाइड्राइड (NaH) एक क्रिस्टलीय पदार्थ है। इसके वैद्युत अपघटन पर हाइड्रोजन गैस धनाग्र पर मुक्त होती है। सोडियम हाइड्राइड सूखी वायु में गर्म करने पर जल जाता है और जलयुक्त वायु में अपघटित हो जाता है।
सोडियम कार्बोनेट (Na2CO3) अनार्द्र तथा जलयोजित दोनों दशाओं में मिलता है। इसे घरेलू उपयोग में कपड़े तथा अन्य वस्तुओं के साफ करने के काम में लाते हैं। चिकित्साकार्य में भी यह उपयुक्त हुआ है। इसके अतिरिक्त सोडियम बाइकार्बोनेट (NaHCO3) भी रसायनिक क्रियाओं तथा दवाइयों में काम आता है।
अनेक संरचना के सोडियम सिलिकेट ज्ञात हैं। इनमें विलेय सोडा काँच (Soda glass) सबसे मुख्य है। सिलिका को सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH) विलयन के साथ उच्च दाब पर गर्म करने से यह तैयार होता है। यह पारदर्शी रंगरहित पदार्थ है जो उबलते पानी में घुल जाता है। कुछ छापेखाने के उद्योगों में इसका उपयोग होता है। पत्थरों तथा अन्य वस्तुओं के जोड़ने में भी इसका उपयोग हुआ है।
सोडियम कार्बोनेट, सोडियम टार्टरेट, सोडियम ब्रोमाइड, सोडियम सेलिसिलेट, सोडियम क्लोराइड आदि यौगिक का चिकित्सा निदान में उपयोग होता है।
किसी कारण से शरीर में जल की मात्रा कम होने पर सोडियम क्लोराइड अथवा साधारण नमक के विलयन को इंजेक्शन द्वारा रक्तनाड़ी में प्रविष्ट करते हैं।
अनेक प्राकृतिक झरनों में सोडियम यौगिक पाए गए हैं। इन झरनों का जल गठिया तथा पेट और चर्मरोगों में लाभकारी माना जाता है।
सोडियम की पहचान स्पेक्ट्रममापी (Spectrometer) द्वारा हो सकती है। इसके यौगिक बुंसल लौ को पीला रंग प्रदान करते हैं। इस प्रकाश का तरंगदैर्घ्य ५८९० तथा ५८९६ एंगस्ट्राम है। आयन विनिमय स्तंभ (Ion exchange column) द्वारा भी इसकी पहचान की गई है।
गुणधर्म
सोडियम रुपहली चमकदार धातु है। वायु में ऑक्सीकरण के कारण इसपर शीघ्र ही परत जम जाती है। यह नरम धातु है तथा उत्तम विद्युत चालक है क्योंकि इसके परमाणु के बाहरी कक्ष का इलेक्ट्रॉन अत्यंत गतिशील होने के कारण शीघ्र एक से दूसरे परमाणु पर जा सकता है। इसके कुछ भौतिक स्थिरांक नीचे दिये गये हैं-
परमाणु संख्या ११,
परमाणु भार २२.९९
घनत्व ०.९७ ग्राम/घन सेमी,
गलनांक ९७.८ डिग्री सेल्सियस
क्वथनांक ८९२ डिग्री सेल्सियस
सोडयम धातु के परमाणु अपना एक इलेक्ट्रॉन खोकर सोडियम आयन में सरलता से परिणत हो जाते हैं। फलत: सोडियम अत्यंत शक्तिशाली अपचायक (reductant) है। इसकी क्रियाशीलता के कारण इसे निर्वात या तैल में रखते हैं। जल से यह विस्फोट के साथ क्रिया कर हाइड्रोजन मुक्त करता है। वायु में यह पीली लपट के साथ जलकर सोडियम आक्साइड (Na2O) तथा सोडियम परआक्साइड (Na2O2) का मिश्रण बनाता है।
हेलोजन तत्व तथा फ़ॉस्फ़ोरस के साथ सोडियम क्रिया करता है। विशुद्ध अमोनिया द्रव में सोडियम घुलकर नीला विलयन देता है। पारद से मिलकर यह ठोस मिश्रधातु बनाता है। यह मिश्रधातु अनेक क्रियाओं में अपचायक के रूप में उपयोग की जाती है।