सुडक, सुडुक घाव से पिल्लू (मवाद) निकाल रहा है, नासिका से श्वेत पदार्थ निकाल रहा है । २) माला फेरत जुग भया, गया न मन का फेर । कर का मनका डारि कैं, मन का मनका फेर ।। _3) बिनु पग चलें, सुनै बिनु काना । कर बिनु कर्म करें, विधि नाना । आनन रहित सकल रस भोगी । बिनुं वाणी वक्ता, बड़ जोगी ।।
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सुडक, सुडुक घाव से पिल्लू (मवाद) निकाल रहा है, नासिका से श्वेत पदार्थ निकाल रहा है । २) माला फेरत जुग भया, गया न मन का फेर । कर का मनका डारि कैं, मन का मनका फेर ।। _3) बिनु पग चलें, सुनै बिनु काना ।
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