सुग्रीव कौन था राम और सुग्रीव के मिलन का वर्णन कीजिए
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Explanation:
प्रचुर फल, मूल और वृक्षों से भरे हुए ऋष्यमुक पर्वत पर पहुँचकर उन दोनों वीरों ने देखा, पर्वत के शिखर पर पाँच वानर बैठे हुए हैं। सुग्रीव ने हिमालय के समान गम्भीर भाव से बैठे हुए अपने बंद्धिमान सचिव हनुमान को उन दोनों के पास भेजा। उनके साथ पहले बातचीत हो जाने पर वे दोनों भाई सुग्रीव के पास गये।
Explanation:
सुग्रीव रामायण के एक प्रमुख पात्र है। वह बालि के अनुज है। हनुमानके कारण भगवान श्री राम से उनकी मित्रता हुयी। वाल्मीकि रामायण में किष्किन्धाकाण्ड, सुन्दरकाण्ड तथा युद्धकाण्ड तथा गोस्वामी तुलसीदास रचित श्रीरामचरितमानस किष्किंधा कांड में श्री हनुमान जी महाराज द्वारा भगवान श्री रामचंद्र जी और सुग्रीव जी के मध्य हो मैत्री कराई जाती है जिसे श्रीरामचरितमानस के दोहा क्रमांक 4 किष्किंधा कांड में श्री गोस्वामी तुलसीदास जी ने वर्णित किया है। से वाल्मीकि रामायण एवं श्री रामचरितमानस दोनों में ही सुग्रीव जी का वर्णन वानरराज के रूप में किया गया है। जब भगवान श्री रामचंद्र जी से उनकी मित्रता हुयी तब वह अपने अग्रज बालि के भय से ऋषिमुखपर्वत पर अंजनी पुत्र श्री हनुमान जी तथा कुछ अन्य वफ़ादार रीछ (ॠक्ष) (जामवंत) तथा वानर सेनापतियों के साथ रह रहे थे। लंका पर चढ़ाई के लिए सुग्रीव ने ही वानर तथा ॠक्ष सेना का प्रबन्ध किया था।उन्होंने भगवान राम की रावण को मारने में मदद की थी।