सुग्रीव कहाँ रहते थे ?
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सुग्रीव रामायण के एक प्रमुख पात्र है। वह वालि के अनुज है। हनुमान के कारण भगवान श्री रामचंद्र जी से उनकी मित्रता हुयी। वाल्मीकि रामायण में किष्किन्धाकाण्ड, सुन्दरकाण्ड तथा युद्धकाण्ड तथा गोस्वामी तुलसीदास रचित श्रीरामचरितमानस किष्किंधा कांड में श्री हनुमान जी महाराज द्वारा भगवान श्री रामचंद्र जी और सुग्रीव जी के मध्य हो मैत्री कराई जाती है जिसे श्रीरामचरितमानस के दोहा क्रमांक 4 किष्किंधा कांड में श्री गोस्वामी तुलसीदास जी ने वर्णित किया है। से वाल्मीकि रामायण एवं श्री रामचरितमानस दोनों में ही सुग्रीव जी का वर्णन वानरराज के रूप में किया गया है। जब भगवान श्री रामचंद्र जी से उनकी मित्रता हुयी तब वह अपने अग्रज वालि के भय से ऋष्यमूक पर्वत पर अंजनी पुत्र श्री हनुमान जी तथा कुछ अन्य वफ़ादार रीछ (ॠक्ष) (जामवंत) तथा वानर सेनापतियों के साथ रह रहे थे। लंका पर चढ़ाई के लिए सुग्रीव ने ही वानर तथा ॠक्ष सेना का प्रबन्ध किया था।उन्होंने भगवान राम को रावण को मारने म मदद की थी