संगीता को याद है उसके पिता का जन्मदिन 8 दिसंबर के बाद 13 दिसंबर से पहले है उसकी बहन नताशा को याद है उसके पिता का जन्मदिन 9 दिसंबर के बाद 14 दिसंबर से पहले उसके पिता की जन्म तिथि
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‘न इंतिज़ार करो इन का ऐ अज़ा-दारो, शहीद जाते हैं जन्नत को घर नहीं आते’…साबिर ज़फ़र साहब ने ये शेर उन शहीदों के लिए लिखा है जो सरहद में बेखौ़फ़ होकर जंग लड़ते हैं और अपनों की परवाह किए बिना वतन के लिए कुर्बान हो जाते हैं. 22 साल के सौरभ कटारा सेना की 28 राष्ट्रीय राइफल में तैनात था और जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में तैनात था. पिछले दिनों एक बम विस्फोट में वो शहीद हो गया.
22 साल के सौरभ कटारा राजस्थान के भरतपुर का रहने वाले हैं. शहीद सौरभ कटारा की शादी बीती 8 दिसंबर को ही हुई थी और शादी के बाद वो 14 दिसंबर को वापस अपनी ड्यूटी के लिए कुपवाड़ा चला गया था. सौरभ के शहीद होने की सूचना मिलते ही गांव में मातम पसर गया. पिता को जहां बेटे के शहादत पर फक्र के आंसू है वहीं नई नवेली दुल्हन को नाज है अपने पति पर जो वतन के खातिर शहीद हो गया.
दुर्भाग्य दो देखिए जिस दिन शहीद सौरभ कटारा का जन्मदिन था, उसी दिन वो शहीद हो गया. सौरभ के परिवार वाले और उसकी नवविवाहित पत्नी जन्मदिन मनाने की तैयारी कर ही रहे थे. तभी ये मनहूस खबर उनको मिली कि आपका बहादुर बेटा, पति, भाई बम ब्लास्ट में शहीद हो गया है. जिसके बाद परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट गया.
शहीद सौरभ कटारा के पिता नरेश कटारा खुद भी आर्मी में थे जो 2002 में सेवानिवृत हो गए और उन्होंने 1999 में कारगिल युद्द में भाग लिया था. साथ ही सौरभ का बड़ा भाई गौरव कटारा खेती करता है और छोटा भाई अनूप कटारा एमबीबीएस कर रहा है.
सौरभ आर्मी से छुट्टी लेकर पिछली 20 नवंबर को अपनी बहन दिव्या की शादी में आया था और बाद में फिर 8 दिसंबर को उसकी खुद की शादी थी. इसलिए वह बहन और अपनी शादी करने के बाद 14 दिसंबर को वापस सरहद पर अपनी ड्यूटी निभाने चला गया था. शहीद के पिता नरेश कटारा ने कहा कि, ‘मैंने आर्मी में रहकर खुद कारगिल युद्द लड़ा है और आज मुझे गर्व है की मेरा पुत्र देश के लिए शहीद हुआ है. मैं अब अपने छोटे पुत्र अनूप कटारा को भी देश सेवा के लिए आर्मी में भेजूंगा.’
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