सांगीत निरकयि से मयिर् मि की अिेक भयर्ियओं से िुड़य रहय है । यही कयरण है दक र्ैज्ञयनिक प्रगनत के इस युग में सांगीत को निदकत्सय नर्ज्ञयि से िोड़िे
सांबांधी अिेक अिुसांघयियत्मक कययव प्रगनत पर हैं ।र्ैज्ञयनिक सतत रूप से यह ियिे के निए िुटे हैं दक दकस- दकस प्रकयर से रोगों के निए दकस- दकस प्रकयर कय
सांगीत र् र्यिि ियभकयरी नसद्ध हो सकतय है।इसकी महत्तय को हमयरे मिीनर्यों िेआि सेसहस्त्रों र्र्व पूर्व भी ियि नियय र्य तर्य सांगीत को ियि योग कहय
र्य ।इसमें ककांनित भी सांिेह िहीं दक सांगीत में हृिय को एकयग्रनित्त करिे की अपूर्व क्षमतय है । र्ैज्ञयनिक नसद्ध कर िुके हैं दक सांगीत के प्रभयर् स्र्रूप पशु,
पनक्षयों कय व्यर्हयर बिि ियतय है । अिुकूि सांगीत सुिकर पौधे शीघ्र नर्कनसत होते हैं तर्य बेहतर फसि िेते हैं । यही कयरण है दक प्रकृनत प्रित्त प्रत्येक
तत्र् स्र्यभयनर्क मधुर सांगीत से िुड़य है ।
1.आिकि र्ैज्ञयनिक दकस बयत की खोि में िुटे हैं-
क. रोगों के निए सांगीत कय ियभ ख. खेतों के निए सांगीत कय ियभ
ग. घर के निए सांगीत कय ियभ ग. िगरों के निए सांगीत कय ियभ
2. सांगीत को हमयरे मिीनर्यों िे क्यय ियम दियय र्य-
क. िि योग ख. सेर्य योग
ग.सांगीत योग घ. ियि योग
3. पौधों पर सांगीत कय क्यय प्रभयर् पड़तय है-
क. पौधें सूख ियते हैं । ख. पौधें हरे होते हैं ।
ग. पौधे शीघ्र नर्कनसत होते हैं । घ. पौधें पीिे होते हैं ।
4.गद्यांश कय उनित शीर्वक िीनिए
क. प्रकृनत कय महत्र् ख.सांगीत कय महत्र्
ग.पनक्षयों कय महत्र् घ. पशुओं कय महत्र्
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