सागर की अपनी क्षमता है एक माजी ही कब रुकता है यह वाली कहानी बताएं कृपया
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.google search kar lo yaha कहानी सुनने ही आते हो क्या घर जा कर स्टडी करो
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Answer:
तूफ़ानों की ओर
तूफ़ानों की ओर
घुमा दो
नाविक!
निज पतवार!
आज सिन्धु ने विष उगला है
लहरों का यौवन मचला है
आज हृदय में और सिन्धु में
साथ उठा है ज्वार
तूफ़ानों की ओर
घुमा दो
नाविक!
निज पतवार!
लहरों के स्वर में कुछ बोलो
इस अंधड़ में साहस तोलो
कभी-कभी मिलता जीवन में
तूफ़ानों का प्यार
तूफ़ानों की ओर
घुमा दो
नाविक!
निज पतवार!
यह असीम, निज सीमा जाने
सागर भी तो यह पहिचाने
मिट्टी के पुतले मानव ने
कभी न मानी हार
तूफ़ानों की ओर
घुमा दो
नाविक!
निज पतवार!
सागर की अपनी क्षमता है
पर माँझी भी कब थकता है
जब तक साँसों में स्पन्दन है
उसका हाथ नहीं रुकता है
इसके ही बल पर कर डाले
सातों सागर पार
तूफ़ानों की ओर
घुमा दो
नाविक!
निज पतवार!
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