सागर के किस विस्तार को देखकर लेखक विस्मित रह गया
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¿ सागर के किस विस्तार को देखकर लेखक विस्मित रह गया ?
✎... ‘आखिरी चट्टान’ यात्रा वृतांत में लेखक ‘मोहन राकेश’ समुद्र में उभरी एक चट्टान पर खड़े होकर उस आखिरी चट्टान को देख रहा था। कन्याकुमारी के समुद्र में अरब सागर, हिंद महासागर तथा बंगाल की खाड़ी का संगम होता है। लेखक सागर के इस अनंत विस्तार को देखकर विस्मित हो गया क्योंकि इस अनंत इस विस्तृत जल राशि में सागर की अथाह लहरें उठ रही थी, जो सागर में स्थित चट्टानों से टकरा रही थीं। जब यह लहरें नुकीली चट्टानों से टकराती तो टकराने के बाद बूँद के रूप में चारों तरफ बिखर जाती थीं और एक सुंदर सा मनोरम दृश्य बन जाता था।
बार-बार इन लहरों से आकर टकराने से ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे विस्तृत विशाल सागर की शक्तिशाली भुजाएं हों। सागर की लहरों इस क्रिया को लेखक मुग्थ होकर तल्लीलना से देखता रहा।
जब यह लहरें चट्टान से आकर टकराती तो ऐसा प्रतीत होता कि यह सागर की विशाल भुजाएं हों, जो सागर के विस्तार की शक्ति का प्रतीक थीं। सागर के इस विस्तार को देखकर लेखक विस्मित रह गया।
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