सागर नेरास्ता छोड़ा, परबर् नेसीस झुकाया' - साजिर नेऐसा क्ोोंकिा िै? जिखो।
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'सागर ने रास्ता छोड़ा पर्वत ने शीश झुकाया' कवि ने ऐसा कहा है क्योंकि जब कुछ वानर भालू ने मिलकर संकल्प किया कि वे लंका से सीता माता को वापस लाएंगे तो उनके रास्ते में 400 मील का अथाह सागर आया तब उन्होंने मिलकर उस सागर पर पत्थरों का सेतु बना दिया। उस सेतु का नाम श्री राम सेतु है और एक बात जब बिहार के सीतामढ़ी के एक व्यक्ति ने संकल्प किया कि वह पहाड़ को तोड़ कर सड़क बनाएगा तो उस गांव के उसके साथियों और उसने मिलकर पर्वत को तोड़कर सड़क का निर्माण कर दीया। सड़क का नाम आज दशरथ मांझी पथ है। और जिस व्यक्ति ने यह संकल्प किया था उसका नाम दशरथ मांझी है।
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