संघ एक्टो प्रोक्टा के प्रमुख लक्षण लिखिए
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- इस संघ के सभी जन्तु समुद्री (Marine) होते हैं।
- ये सीलोमयुक्त (Coelomate) जन्तु होते हैं।
- इनकी त्वचा के नीचे चूनेदार प्लेट (Calcareous plates) तथा कभी-कभी त्वचा के ऊपर काँटे (spines) पाये जाते हैं। ये अंतः कंकाल का निर्माण करते हैं।
- इनमें वास्तविक देहगुहा (True coelom) पायी जाती है जो परिवर्द्धन की प्रथमावस्था में द्धिअरीय सममित (Bilaterally symmetrical) होती है और वयस्क अवस्था में अरीय सममित (Radially symmetrical) हो जाती है।
- देहगुहा (Coelom) में तीन अन्य तंत्रों का निर्माण होता है- जलवाहक तंत्र (water vascular system) 2. हीमल तंत्र (Haemal system) 3. पेरिहीमल तंत्र (Perihaemal system)
- जलवाहक तंत्र में मैड्रीपोराइट (Madrieporite) नामक एक छिद्रयुक्त पट्टिका होती है जिससे जल शरीर के अंदर प्रवेश करता है
- नलपाद (Tube feet) छोटी-छोटी खोखली रचनाएँ होती हैं जो जलवाहक तंत्र से जुड़ी रहती है इनका काम प्रचलन, भोजन ग्रहण तथा श्वसन में भाग लेना है।
- इनमें आहारनाल प्रायः कुण्डलित (Coiled) होता है।
- इनमें उत्सर्जन अंग नहीं पाये जाते हैं।
- इनमें तंत्रिका तंत्र अल्प विकसित होता है।
- इनमें नर और मादा अलग-अलग होते हैं।
- इनमें लैंगिक प्रजनन (Sexual reproduction) होता है।
- इनमें अंतः निषेचन (Internal fertilization) होता है।
- इनमें परिवर्द्धन प्रत्यक्ष (Direct) या परोक्ष (Indirect) रूप में होता है।
- जीवन चक्र में जब लावर्ग अवस्था आती है तब लार्वा रूपान्तरित होकर वयस्क में परिवर्तित हो जाता है।
- इस संघ के जन्तुओं में पुनरुद्भवन (Regeneration) की क्षमता होती है।
- उदाहरण- तारा मछली (Star fish), ब्रिटल स्टार (Brittle star), समुद्री अर्चिन (sea urchin), समुद्री खीरा (Sea cucumber), कुकुमेरिया (Cucumaria), थायोन (Thyone), एंटीडॉन (Antidon) आदि।
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