संघर्ष ही सुख की कुंजी है अनुच्छेद
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संघर्ष करना ही सफलता ही कुंजी है।
कर्म करना ही,परिश्रम की पूंजी है।।
उत्साह भरी आशाएं, हरपल होनी चाहिए।
करे स्पर्श न निराशाएं मधुमय जीवन बनाइए ।।
शक्तिपुंज हो ह्रदय में, ऐसा दीप जलाइये।
आत्मनिर्भता जन-जन में, ऐसा उल्लास जगाइये।।
कर्म करना छोड़ कर, भाग्य के बल मत जिये।
भविष्य उज्जवल के लिए, कर्म करके देखिए।।
कर्म ही पूजा है, कर्म ही है खुदा।
कर्म ही शक्ति है, जिससे नहीं जुदा।।
असफलता से घबरा, दूर मत भागिये।
सफलता हेतु, प्रयत्न करना चाहिए।।
भाग्य यूँ बदल जायेगा, इरादों पे भरोसा कीजिये।
दूसरों की प्रगति देख, स्वयं उन्नति कीजिये ।।
डागर -डागर, बाट- बाट,
कदम मिलाते जाइये।
हर. कदम पे एक मुसाफिर ,
सफर करता पाइये ।।
कर्तव्य पथ से मुख न मोड़ो,
जीवन से नाता जोड़ो।
मन्दिर- मस्जिद मत तोड़ो,
ऊँच- नीच की दीवारें तोड़ो।।
दुशमनी की जड़ो को ,
उखाड़ फेंको ।
मित्रता का हाथ जोड़ो,
ऐ मेरे दोस्तों !
दोस्ती मत छोड़ो
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संघर्ष ही है सफलता की कुंजी
संघर्ष! यह एक ऐसा अनुभव है जिससे शायद ही दुनिया का कोई व्यक्ति वंचित हो। हमें बचपन से सिखाया जाता हैं कुछ भी पाने के लिए संघर्ष (sangharsh) करना ही पड़ता है। बिना इसके कभी कुछ हासिल नहीं होता। समाज में प्रतिष्ठा, नाम-शोहरत, रुपया-पैसा, तरक्की या फिर पढ़ाई में अव्वल होना हो, चाहे जो भी लक्ष्य हो उसे प्राप्त करना बिना संघर्ष के संभव नहीं।
संघर्ष जीवन के उतार-चढ़ाव का अनुभव कराता है, अच्छे-बुरे का ज्ञान करवाता हैं, सतत सक्रिय रहना सिखाता है, समय की कीमत सिखाता है जिससे प्रेरित होकर हम सशक्तिकरण के साथ फिर से अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित होते है और जीवन जीने के सही तरीके को सीखते हैं।दुनिया का हर व्यक्ति जीवन में सफलता की उम्मीद करता हैं जिसके लिए वो अथक प्रयास भी करता है। कई बार कुछ अलग करने की चाह और प्रबल प्रेरणा से व्यक्ति अपने मुकाम के करीब पहुँच भी जाता है लेकिन कुछ कठिन संघर्ष को सामने देख सफलता से वंचित हो जाता है।
दोस्तो! जीवन ‘संघर्ष’ का दूसरा नाम हैं। एक बात हमेशा याद रखिए, अपनी मंजिल का आधा रास्ता तय करने के बाद पीछे ना देखे बल्कि पूरे जुनून और विश्वास के साथ बाकी की आधी दूरी तय करे, बीच रास्ते से लौटने का कोई फायदा नहीं क्योंकि लौटने पर आपको उतनी ही दूरी तय करनी पड़ेगी जितनी दूरी तय करने पर आप लक्ष्य तक पहुँच सकते है।
क्योंकि ”संघर्ष हमारे जीवन का सबसे बड़ा वरदान है और वो हमें सहनशील, संवेदनशील और देवतुल्य बनाता हैं।” संघर्ष के इस सूत्र को समझिए और उसपर चलने की कोशिश कीजिए। यकीन मानिए आप जीवन को एक अलग रूप से देखने लगेंगे।
”इच्छाशक्ति + स्थिरता = संकल्प, संकल्प + कड़ी मेहनत (संघर्ष) = सफलता”
आप सोच रहे होंगे यह सब पढ़ना या लिखना बहुत आसान है लेकिन करना बहुत ही मुश्किल! दोस्तों, जीवन कभी भी आसान नहीं होता। सरलता व सहजता से कभी किसी को कुछ हासिल नहीं हुआ। इतिहास गवाह है इस बात का आज भी लोग महान और सफल लोगों को उनके संघर्ष से उन्हें याद करते है।
संघर्ष से डर के जीवन में अपने कदमों को पीछे मत कीजिए। आज का संघर्ष आपके कल को सुरक्षित करता है। आप जिस तरह का संघर्ष करते है भाग्य भी उसी के अनुरूप फल देता है। यह सत्य है जीवन में कई बार बुनियादी, सामाजिक, पारिवारिक आदि समस्याएँ आ जाती है तब लक्ष्य के प्रति संघर्ष की इच्छाशक्ति को बनाए रखना मुश्किल हो जाता है क्योंकि ऐसी परिस्थिति में जीवन का संघर्ष कई गुणा बढ़ जाता है।
लेकिन ऐसी स्थिति में भी सकारात्मक सोच वाला व्यक्ति अपनी आंतरिक इच्छाशक्ति की ताकत और शारीरिक व मानसिक क्षमता के बल पर किसी भी संघर्ष से जूझ सकता है बस उसमें अपने लक्ष्य के प्रति ललक होनी चाहिए। क्योंकि ”जितना कठिन संघर्ष होगा, जीत भी उतनी ही शानदार होगी।”
दोस्तों, इन लघु कथा से यह समझने की कोशिश करे की संघर्ष के रूप में ईश्वर हमें किस तरह से चमकाता है।
“अधिकतर लोग ठीक उसी समय हार मान लेते है, जब सफलता उन्हें मिलने वाली होती है। विजय रेखा बस एक कदम दूर होती है, तभी वे कोशिश करना बंद कर देते है। वे खेल के मैदान से अंतिम मिनट में हट जाते है, जबकि उस समय जीत का निशान उनसे केवल एक फुट के फासले पर होता है।” क्योंकि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। – एच रोस पेरोट
”जिस संघर्ष में आज आप हैं वो आपके कल के लिए ताकत विकसित कर रहा है।” – रॉबर्ट टयू
उम्मीद है जागरूक पर संघर्ष और सफलता कि ये जानकारी आपको पसंद आयी होगी और आपके लिए फायदेमंद भी साबित होगी।