संघर्ष ही सफलता की कुंजी है' - इस पर लगभग 50 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए
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संघर्ष ही है सफलता की कुंजी
संघर्ष! यह एक ऐसा अनुभव है जिससे शायद ही दुनिया का कोई व्यक्ति वंचित हो। हमें बचपन से सिखाया जाता हैं कुछ भी पाने के लिए संघर्ष (sangharsh) करना ही पड़ता है। बिना इसके कभी कुछ हासिल नहीं होता। समाज में प्रतिष्ठा, नाम-शोहरत, रुपया-पैसा, तरक्की या फिर पढ़ाई में अव्वल होना हो, चाहे जो भी लक्ष्य हो उसे प्राप्त करना बिना संघर्ष के संभव नहीं।
इसमें कोई दोराह नहीं की संघर्ष जीवन को तराशता है, निखारता है, सँवारता है और फिर हमें ऐसे साँचे में गढ़ता है जिसकी प्रसिद्धि दुनिया करते नहीं थकती। शायद यही वो मुकाम होता है जिसके लिए मनुष्य अथक प्रयास करते जाता है जिसे हम संघर्ष कहते हैं। इसके पश्चात जो सफलता प्राप्त होती है निसंदेह वो अतुलनीय होती हैं।
संघर्ष ही है सफलता की कुंजी (sangharsh hi safalta ki kunji hai)
संघर्ष जीवन के उतार-चढ़ाव का अनुभव कराता है, अच्छे-बुरे का ज्ञान करवाता हैं, सतत सक्रिय रहना सिखाता है, समय की कीमत सिखाता है जिससे प्रेरित होकर हम सशक्तिकरण के साथ फिर से अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित होते है और जीवन जीने के सही तरीके को सीखते हैं।
दुनिया का हर व्यक्ति जीवन में सफलता की उम्मीद करता हैं जिसके लिए वो अथक प्रयास भी करता है। कई बार कुछ अलग करने की चाह और प्रबल प्रेरणा से व्यक्ति अपने मुकाम के करीब पहुँच भी जाता है लेकिन कुछ कठिन संघर्ष को सामने देख सफलता से वंचित हो जाता है।
संघर्ष ही प्रकृति का नियम है –
एक छोटा बच्चा पेड़ पर एक तितली के खोल को देखता है। बच्चे को तितली पर दया आ रही थी क्योंकि तितली खोल से बाहर आने के लिए बार-बार संघर्ष कर रही थी। बच्चे ने तितली की मदद करने की सोचकर उस खोल को तोड़ दिया और तितली को बाहर निकाल दिया। लेकिन तितली कुछ देर में ही मर गयी।
बच्चा उदास हो गया और समझ नहीं पा रहा था कि तितली कैसे मर गयी और उसने अपनी माँ को सारी बात बताई। माँ ने कहा– “संघर्ष ही प्रकृति का नियम है और कोकून से निकलने के लिए तितली को जो संघर्ष करना पड़ता है उससे उसके पंखों और शरीर को मजबूती मिलती है। बेटा तुमने तितली की मदद करके उसे संघर्ष करने का मौका नहीं दिया जिससे उसकी मृत्यु हो गई।”
संघर्ष ही है सफलता की कुंजी
संघर्ष ही जीवन है (sangharsh hi jeevan hai)-
जिराफ के बच्चे का जब जन्म होता है तो वह माँ के गर्भ से 10 फीट की ऊंचाई से पीठ के बल गिरता है। उँचाई से गिरने के कारण उसमें उठकर खड़े होने की शक्ति लुप्त हो जाती है। लेकिन उसकी माँ उसे बार-बार जोर-जोर से लातें मारती है और वह बच्चा तब तक लातें खाता रहता है जब तक कि वह उठकर खड़ा नहीं हो जाता और इतने संघर्ष के बाद कुछ देर में वह बच्चा लड़खड़ाते हुए उठ कर खड़ा हो जाता है।
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अगर जिराफ़ के बच्चे को अपनी माँ की लाते खाने को न मिले तो वह खड़े होने से पहले ही किसी शिकारी जानवर के पेट में पहुँच जाता।
तितली और जिराफ की तरह संसार के हर प्राणी को संघर्षो का सामना करना पड़ता है। जो व्यक्ति प्रकृति के इस नियम को समझ जाता है वह जीवन में सफल हो जाता है, क्योंकि सफलता का सफर असफलता से शुरू होता है। इसलिए असफलता को चुनौती समझकर स्वीकार करे और दुगनी ताकत के साथ असफलता को सफलता में बदलने का अथक प्रयास करते रहे। जो असफलता से डर जाता है वह कभी संघर्ष नहीं कर सकता।
प्रकृति ने संघर्ष की प्रक्रिया को इसलिए ही इतना कठिन बनाया है क्योंकि बिना कठिन परिश्रम के हम उतने मजबूत कभी नहीं बन सकते जितनी हमारी क्षमता है। अगर बिना जतन के ही सब कुछ मिल जाए तो क्या हम अपंग का जीवन जीना पसंद करेंगे? शायद नहीं!!
जिन लोगों को विरासत में सब कुछ मिलता है उन लोगों को भी इस विरासत को सहेज कर रखने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। विरासत बनाने के लिए किसी पीढ़ी ने तो संघर्ष किया होता है। हमने यह बात आगे भी कही है आपका आज का संघर्ष आपके कल को यानी आपके बाद की पीढ़ी को सुरक्षित करता है।
इसलिए जीवन के कठिन पलों को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखिए, फिर आपको जीवन की उड़ान कितनी सरल, सफल व सहज नजर आएगी। आप कुछ ऐसा सीख जाएँगे की दुनिया को मिसाल की तौर पर सिखा जाएँगे।
दोस्तों, जीवन हमारा है तो निश्चित तौर पर संघर्ष भी हमारा ही होगा इसलिए कोशिश करे संघर्ष से हारकर कभी किसी की मदद ना लेनी पड़े। मदद इंसान को दूसरों पर आश्रित कर देती है। स्वयं की सोच और विश्वास पर अंकुश का ताला लगा देती है। आश्रित व्यक्ति का कोई अपना वजूद नहीं होता।
स्वयं के प्रयासों से सफलता को प्राप्त कीजिए फिर महसूस कीजिए संघर्ष क्यों जरूरी
कही आप अपनों को अपाहिज तो नहीं कर रहे उनके संघर्ष में उनकी मदद करके। मदद कीजिए अपना साथ देके, अपना विश्वास दिखा के, उनका हौसला बढ़ा के और जब सही समय आए तब अपने तरीके से उनकी मदद कीजिए। आप देखेंगे इस दौरान आपके अपने भी उतनी ही मजबूती से खड़े है जीतने की आप।
दोस्तों, जीवन में कुछ ठान लो तो जीत है और मान लो तो हार है। अगर आप चाहते है की समाज आपको एक आदर्श उदाहरण के रूप में याद रखे तो आपको आज और अभी से यह अमल करना होगा की सफलता की इमारत संघर्ष की नींव पर टिकी होती है।
महाभारत के युद्ध में श्री कृष्ण अगर पांडवों की मदद करते तो क्या आज हम पांडवों को याद रखते, शायद नहीं!! जबकि श्री कृष्ण चाहते तो पांडवों की मदद कर उन्हें जीवन में कोई संघर्ष करने ही नहीं देते। जीवन में सफलता उसी को मिलती है जिसने संघर्षो से जूझना सीखा है। भगवान श्री कृष्ण ने भी गीता में कहा है – “जीवन एक संघर्ष है एंव इसका सामना प्रत्येक व्यक्ति को करना पड़ता है।”
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