संघर्ष के कारण मैं तुनुकमिज़ाज हो गया : धनराज
होकी के सुपसिद्ध खिलाड़ी धनराज पिल्ले जब पैंतीस वर्ष के हो गए , उनका एक साक्षात्कार विनीता पाण्डेय ने
लिया था। इस साक्षात्कार का संपादित अंश यहाँ दिया जा रहा है।
चिनीता पाण्डेय : खिडकी, पुणे की तंग गलियों से लेकर मुंबई के हीरानंदानी पबई कांप्लेक्स तक आपका सफर
बहुत लंबा और कष्टसाध्य रहा है | उस सफर के बारे में कुछ बताएँ |
धनराज पिल्ले : बचपन मुश्किलों से भरा रहा | हम बहुत गरीब थे | मेरे दोनों बड़े भाई हॉकी खेलते थे | उन्हीं के
चलते मुझे भी उसका शौक हुआ | पर , हॉकी - स्टिक खरीदने तक की हैसियत नहीं थी मेरी | इसलिए अपने
साथियों की स्टिक उधार मांगकर काम चलाता था | वह मुझे तभी मिलती , जब वे खेल चुके होते थे | इसके लिए
बहुत धीरज के साथ अपनी बारी का इंतज़ार करना पड़ता था। मुझे अपनी पहली स्टिक तब मिली , जब मेरे बड़े
भाई को भारतीय कैंप के लिए चुन लिया गया | उसने मुझे अपनी पुरानी स्टिक दे दी | वह नयी तो नहीं थी लेकिन
मेरे लिए बहुत कीमती थी , क्योंकि वह मेरी अपनी थी |
प.1. हॉकी के सुपसिद्ध खिलाड़ी कौन थे ?
प.2. उनका साक्षात्कार किसने लिया था ?
प.3. विनीता पाण्डेय ने धनराज पिल्ले से किस सफर के बारे में पूछा था ?
प.. धनराज पिल्ले ने विनीता पाण्डेय को क्या जवाब दिया थ
प.5. धनराज पिल्ले को अपनी पहली स्टिक कब मिली थी ?
प्र.6. दिए गए गद्यांश को कौन से पाठ से लिया गया है ?
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1. धनराज होकी के सुपसिद्ध खिलाड़ी
2. उनका एक साक्षात्कार विनीता पाण्डेय ने लिया था।
3. मुंबई के हीरानंदानी पबई कांप्लेक्स
4. बचपन मुश्किलों से भरा रहा |
5. मुझे अपनी पहली स्टिक तब मिली , जब मेरे बड़े
भाई को भारतीय कैंप के लिए चुन लिया गया |
hope it helps you dear ✌️
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sorry I don't know but
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